रविवार, 10 जनवरी 2016

इधर कांग्रेस के एक भडुवे (उकील बोले तो वकील उर्फ़ चाकर )कहते हैं यूपीए -२ के शासन काल में सेना ने बगावत की कोशिश की थी। इसी कांग्रेस के एक और प्रवक्ता कहते हैं कांग्रेस ऐसा नहीं मानती की सेना दिल्ली की ओर इस नीयत से कूच किये थी।


सांप के मुंह में छछूंदर बोले तो मायनो कांग्रेस 

कुछ ऐसी ही गति हो गई है कांग्रेस की।  रामजन्म भूमि के मुद्दे पे राजीव गांधी की मंशा को झुठला भी नहीं सकते। क़ुबूल भी नहीं कर सकते भले सच सामने खड़ा हुआ हो। आँखें बंद कर लेते हैं कांग्रेसी। 

अपने पुरखों को मान्यता देने में भी कतराते हैं ये लोग। 

इधर कांग्रेस के एक भडुवे (उकील बोले तो वकील उर्फ़ चाकर )कहते हैं यूपीए -२ के शासन काल में सेना ने बगावत की कोशिश की थी। इसी कांग्रेस के एक और प्रवक्ता कहते हैं कांग्रेस ऐसा नहीं मानती की सेना दिल्ली की ओर इस नीयत से कूच  किये थी। 

इनके कई प्रवक्ता चैनलों पर वमन करने आते हैं इन्हें परिचर्चा का मायने  ही नहीं मालूम -ये मायने ( अर्थ ,मीनिंग )को भी मायनो ही समझते हैं। अलबत्ता मायनो और मंदमति की जय बोलने के अलावा इन्हें कुछ आता जाता भी नहीं हैं।न विषय की अवधारणा न स्कोप। 

 केजरवाल की तरह खबरों में बने रहने के लिए ये कुछ भी  ऊलजलूल ऐसा बोल देते हैं कि खबरों में आ जाएं। अब महाशय केजर वाल अगर इंतना भर करा  दें कि ५-१० किलोमीटर के दायरे में जो नौनिहाल रहते हैं उन्हें उस  दायरे में मौजूद  स्कूल दाखिला देने से इंकार नहीं कर सकते तो दिल्ली  का बड़ा भला हो जाए। 

भला दस्तूरी के लेन  देन (डोनेशन ) को आप कैसे रोकेंगे ?पहले अपना घर ठीक कीजिए ,फिर रोकिए औरन कू।

 एक ऐसा शख्श जिसकी औकात एक एनजीओ  को भी ठीक से चलाने की नहीं थी बन गया मंत्री - मुख्य और कांग्रेसी तो फिलवक्त हाराकिरी (आत्मघात )की देहमुद्रा में आ चुकें  हैं। गौर से देखने भर की ज़रुरत है इस हकीकत को।  

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