शनिवार, 22 दिसंबर 2018

गाय से डर लगता है पर सूअर तो नहीं डरता

गाय से  डर लगता है पर सूअर तो नहीं डरता 

इतना  सम्मान पाकर भी फिर वहीँ के वहीँ रह गए नसरुद्दीन शाह जैसे मुसलमान ,महज़ कट्टरपंथी। 

"गाय से डर लगता है "-शाह की आने वाली फिल्म का शीर्षक ,निर्देशक अनाम 
महज़ संयोग है यह ,की कुछ और नवजोत सिंह सिद्धू के दिल की धड़कन इमरान खान (वज़ीरेआज़ाम पाकिस्तान )का शाह के बयान पर सुपर बयान तत्काल आ गया -"हिन्दुस्तान  के प्रति हिन्दुस्तान असहिष्णु है। 

"मुस्लमानों को हिन्दुस्तान में बराबर कभी नहीं समझा गया "जिन्ना की सोच थी यह। इमरान खान के बयान  का अतिक्रमण करता है प्रकाश के वेग की तेज़ी से फौरी बयान देश को तोड़ने के मौकों की तलाश में रहने वाली नेहरू पंथी कांग्रेस का आ गया।हम शाह के बयान से सहमत हैं। 

असहिष्णु हिन्दुस्तान की यह दूसरी क़िस्त आसन्न २०१९ के आम चुनाव से ठीक पहले आई है ,पुरुस्कार लौटाऊ गेंग के किरदार बदले हैं लक्ष्य नहीं है।  



सोमवार, 17 दिसंबर 2018

राफ़ेल को बोफोर्स बनाने की नाकामयाब कोशिश अहंकारी बाबा राहुल दत्तात्रेय की

अहंकारी राहुल बाबा तीन प्रदेशों को 'नोटा 'की बदौलत जीत कर समझ रहें हैं अब भारत देश उनके नीचे है उनके पीछे चलेगा और सत्ता पक्ष मेरी कदम बोसी करेगा। ये नकलीशिवभक्त  कॉल दत्तात्रेय (प्रपोौत्र श्री फ़िरोज़ खान )भूल चुका है ,यह एक सांसद भी है कांग्रेस का अध्यक्ष भी है। बार -बार अहंकार में भर कर कह रहा है : मैं सिद्ध कर दूंगा "अनिल अम्बानी से मिलकर मोदी ने राफेल डील में पैसा खाया है "जबकि देश की सर्वोच्च अदालत कह चुकी है सौदे में कोई गड़बड़ नहीं हुई है ,पाक साफ़ देश हित में हुआ है सौदा।असंसदीय है इस मतिमंद का सारा  व्यवहार इस  संसद -नुमा को इस देश से प्रतिरक्षा सेवा के उन अफसरानों से माफ़ी मांगनी चाहिए जो राफेल मामले में देश की खातिर प्रतिरक्षा सेवाओं का पक्ष रखनेसुप्रीम कोर्ट  पहुंचे। पूरे देश का भारत धर्मी समाज का अपमान आखिर यह छैला राजकुमार किसके इशारे पर कर रहा है ?

अलबत्ता फैसले में कुछ तकनीकी अशुद्धियाँ रह गईं  हैं जो आज कल में ही ठीक हो जाएंगी जिनका खरीद -फरोख्त की प्रक्रिया से कोई लेना देना नहीं है इसके बाद भी ये और इनके कई माउथ पीस खड़गे जेपीसी का राग अलाप रहे हैं। जेपीसी कोई लेखा समिति के अध्यक्ष का निर्णय नहीं होता है संसद के दोनों सदनों में विमर्श के बाद इसका फैसला होता है। महान्यायवादी और महालेखाकार को आप किस बिना पर बुलाने का अनर्गल प्रलाप कर रहें हैं जबकि कोई रिपोर्ट उन्होंने संसद को इस बाबत अभी सौंपी ही नहीं है वह रिपोर्ट पहले पूरी संसद देखेगी तब संसदीय लेखा समिति तक पहुंचेगी।

बड़े ज़हीन लोग हैं ये राहुल दत्तात्रेय और इनके चिरकुट न संसद में बहस को तैयार है न कचहरी में जाते हैं गली कूचौं  में भौं भौं करते घूम रहे हैं। बन्दूक चलाने के लिए कंधे ढूंढ रहे हैं। राफेल को बोफोर्स बनाने का ख़ाब देख रहे हैं।एक एक करके सब इस मामले से दूर छिटक लेंगे,शुरुआत हो चुकी है।
जैश्रीकृष्णा !

शीर्षक :राफ़ेल को बोफोर्स बनाने की नाकामयाब कोशिश अहंकारी बाबा राहुल दत्तात्रेय की  

शनिवार, 15 दिसंबर 2018

चौकीदार चोर बतलाया ,गला फाड़ कर चिल्लाये , चोर -चोर कहते -कहते तुम तीन प्रदेश जीत लाये- प्रखर राष्ट्रवादी कवि ,गौरव चौहान

कविता और चित्र खुद -ब -ख़ुद बोलते हैं। प्रस्तुत कविता प्रखर राष्ट्रवादी युवा कवि गौरव ने लिखी है लेकिन भावविरेचन पूरे भारत धर्मी समाज का हुआ है उनके इस उद्वेलन से। साक्षी पूरा भारत धर्मी समाज रहा है राजनीति में पल्लवित इस झूठ और फरेब का जहां राजनीतिक ज़मात दो टूक साफ़ साफ़ दिखलाई देती है। एक तरफ भारत धर्मी समाज है और दूसरी ओर मोदी विरोधी ठगबंधन। 

बढ़िया मुद्दा उठाया है इस रचना ने -हमको ये समझाया है भारत धर्मी समाज में वंश लड़के के नाम से चलता है। लड़की के नाम से नहीं। शादी के बाद वह जिस नए खानदान में जाती है उस वंश का पोषण करती है। इंदिरा प्रिय दर्शनी नेहरू एक पारसी युवक से ब्याही गईं  थीं जिन्हें उनकी मौत के बाद सुपुर्दे ख़ाक करवाया नेहरू ने जबकि  परम्परा है पारसी समाज में शव पक्षियों के जीमने के लिए खुले में रख दिया जाता है एक पूर्व निर्धारित जगह पर। 

नरु मरे कछु काम न आवे ,

पसु मरे दस काज सवारे। 

नोटा का अर्थ है: नन- आफ -दी -अबव् ऑप्शंस। (कोई नहीं उल्लेखित में से ). 

पढ़िए इस प्रतिष्ठित युवा हस्ताक्षर की मौज़ू रचना जो वर्तमान राजनीतिक झरबेरियों की चुभन को उभारती है। रही बात नरेंद्र दामोदर मोदी की दो पंक्तियाँ उनको समर्पित हमारी भी :

वो पक्का यौद्धा  है और परम बोधा है ,
वो बुद्धू  नहीं है जैसा तुम सोचो। (मेरा प्यारा चाय वाला ,सबसे निराला मतवाला मस्त )

चौकीदार चोर बतलाया ,गला फाड़ कर चिल्लाये ,

चोर -चोर कहते -कहते तुम तीन प्रदेश जीत लाये। 

मूरख जनता बहकावे में ,साथ तुम्हारे चल बैठी ,

कुछ जनता 'नोटा 'के चक्कर  में ,खुद को ही छल बैठी। 

साठ  साल का लुटा कृषक बस ,चार साल में टूट गया ,

गुस्सा सारे नेताओं का भजप्पा पर फूट पड़ा। 

तुम रफेल और बस रफेल पर भाषण देकर सिद्ध हुए ,

घायल तन पर चौंच मारते ,अवसरवादी गिद्ध हुए। 

तुक्का लगकर जीत गए हो ,भली तुम्हारी राम करे ,

बकरे की माँ कब तक ,खैर मनाकर के आराम करे। 

धीरे -धीरे रहो देखते ,परतें सब खुल जायेंगी ,

एक साल के अंदर ही ,सबकी आँखें ,सब खुल जाएंगी। 

रिहा ज़मानत पर जो राहुल ,हरिश्चंद्र का पौत्र हुआ ,

दादा जिनका शुद्ध पारसी जिनका, बामन उनका गौत्र हुआ। 

छद्म विरासत वाले ,सच्चाई कमज़ोर बताते हो , 

न्यायालय -उच्चतम तुम्हारे सारे भांडे फोड़ गया ,

और तुम्हारी ठगी कथाओं में एक पन्ना जोड़ गया। 

पांच साल में इक रफेल का घोटाला ही पकड़ सके ,

और इसी का मुद्दा लेकर मोदी पर तुम अकड़ सके। 

न्यायालय ने दूध ,दूध पानी का पानी कर डाला ,

सौदा शुद्ध रफेल हुआ ,शुचिता का सानी कर डाला। 

अब राहुल चुल्लू भर पानी ले लो डूब मरो ,

इक त्यागी को चोर बताया ,शर्म बची हो शर्म करो। 

बकते जाओ मोदी को ,शिकवा है नहीं बकैतों   से  ,

भारत माँ का सच्चा सेवक ,डरता नहीं डकैतों से। 

मैं लेखन की सच्चाई का ,छोटा सा परवाना हूँ ,

भाजप्पा का भक्त नहीं हूँ ,मोदी का दीवाना हूँ। 

ईमानों पर तंज कसोगे ,कमर तुम्हारी तोड़ेगी ,

मोदी को बदनाम करोगे ,कलम न तुमको छोड़ेगी। 

जिनकी रक्त धमनियों में ही रक्त मिला है गोरों का ,

वंश लुटेरों का है ,उनका पूरा कुनबा चोरों का। 

... ..     ... ... .... प्रखर राष्ट्रवादी कवि ,गौरव चौहान। 

दूरभाष :955 706  2060 ,

प्रस्तुति :वीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा )
कैन्टन (मिशिगन )

गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

'हुकुम रजाई चलणा नानक लिखिआ नालि ' भावार्थ :उसकी रजा यह है सब खुश रहें लेकिन उसकी रजा के पीछे एक और भी रजा है हर कोई प्रकृति के नियम की पालना करे। वह नियम हमारे माथे पे लिखा है ,हमारे साथ चल रहा है।


'हुकुम रजाई चलणा नानक लिखिआ नालि ' भावार्थ :उसकी रजा यह है सब खुश रहें लेकिन उसकी रजा के पीछे एक और भी रजा है हर कोई प्रकृति के नियम की पालना करे। वह नियम हमारे माथे पे लिखा है ,हमारे साथ चल रहा है।

'हुकुम रजाई चलणा नानक लिखिआ नालि ' 

भावार्थ :उसकी रजा यह है सब खुश रहें लेकिन उसकी रजा के पीछे एक और भी रजा है हर कोई प्रकृति के नियम की पालना करे। वह नियम हमारे माथे पे लिखा है ,हमारे साथ चल रहा है। 

हमारे दुःख का मतलब है हमने ज़रूर किसी नियम की कभी उलंघना की होगी वही इस दुःख की वजह बना है। सुख का मतलब नियम की अनुपालना है। परमात्मा (वाह गुरु किसी को दुःख  देता है न सुख ). 
नियम है एक बीज बोया पृथ्वी हज़ार हज़ार बीज लौटा देती है। एक उपकार किसी के साथ किया हज़ार उपकार करने हम पर लोग आ जाते हैं। एक काँटा बोया किसी की राह में हज़ार हज़ार कंटक कांटे हमारी राह में लौट आते हैं। 

कोई न काहू को सुख दुःख कर दाता ,निज कृत कर्म ....

कर्म प्रधान विश्व करि राखा ,जो जस करहि सो तस फल चाखा।  

परमात्मा को दोष मत दो अपनी विफलता का। 



विशेष :ये प्रकृति के नियम क्या हैं सभी धर्म -ग्रंथों में इनके बारे में बतलाया गया है -बाइबिल ,कुरआन ,रामायण ,आदिगुरुश्रीग्रंथ साहब ,धम्मपद ,श्रीमद्भगवद्गीता ,तोरह या हेब्रू बाइबिल आदिक -यकसां हैं सब जगह सब कालों में। 

https://www.youtube.com/watch?v=w_2QabR2EDI

सोमवार, 10 दिसंबर 2018

Full Statement by 21 Parties After Opposition Meet in New Delhi(HINDI ALSO )





फोटो खिंचवालो कुछ होने वाला नहीं है



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Parties resolved to “defeat the forces that are subverting our Constitution & making a mockery of our democracy.”


एक साथ फोटो खिंचवाने का मतलब एकता नहीं होता है मन तो एक दूसरे को कोस  रहे होते हैं ,मन में एक दूसरे को ये राजनीति के पण्डे गाली दे रहे होते हैं जिनका  एक मात्र कर्म फोटो खिंचवाना है। जबकि फोटो किसी कार्यक्रम का काम का नाम नहीं है। राज्यों के चुनाव में ये एक दूसरे पर बेहद की दुष्टता पूर्ण छींटाकशी करते हैं। मंच पर एकता।

माना के मन तो इनमें से हरेक के पास है लेकिन दिमाग या बुद्धि भी इनकी खोपड़ी में हो ये ज़रूरी नहीं है। काश विज्ञान इत्ती तरक्की कर लेता ,बुद्धि का चित्र भी कैमरा उतार पाता।

हद तो यह है मानसिक रूप से बीमार ये पण्डे अपने को ग्यानी भी मानते हैं चालें चलते हैं और पकड़े जाते हैं बुध्दि इतनी कि कुम्भाराम को कुम्भकरण  बना देते हैं। साठ - सत्तर बरस इन्होने ने राज्य किया लेकिन मन की बात न कह सके। कहते भी कैसे मोदी सा मन होता तो मन की बात करते।

मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति जब चालें चलता है तब खुद अपने पर भी शक करता है। विपक्ष ने एक तरफ चुनाव बाद हुए पोल सर्वेक्षण में भारी रकम देकर खुद को विजयी घोषत करवाया है दूसरी तरफ एवीएम मशीनों को भी निशाने पे लिया हुआ है यानी हारे तो हार का ठीकरा चुनावी मशीनों के मथ्थे मढ़ देंगे।


















खिंचवालो फोटो खिंचवालो कुछ होने वाला नाहीं है 






फोटो खिंचवालो कुछ होने वाला नहीं है 


Here is a statement issued by 21 Opposition political parties after a meeting held on 10 December 2018, at Parliament Annexe, New Delhi.
We, the leaders of secular parties, met this afternoon in New Delhi.
We reaffirmed our strong and steadfast resolve to confront and defeat the forces that are subverting our Constitution and making a mockery of our democracy.
India needs a government that cares for working class, kisans and khet mazdoors and is always sensitive to the enormous pain that they and their families are going through.
India needs a government that makes education accessible and affordable to all sections of the people and fulfills the aspirations of youth for decent and secure jobs that provide fair wages to the employed.
India needs a government that empowers the weaker sections of society—scheduled castes, scheduled tribes, OBCs, women and minorities—to lead a life of complete security and dignity.
India needs a truthful government that does not propagate falsehoods and does not make bogus claims, that steadfastly follows Constitutional values and conventions in letter and spirit, that respects the autonomy of institutions, and that will banish the current all-pervasive atmosphere of fear and intimidation. A case in point is the sinister attack on autonomy of Reserve Bank of India by Modi government that has led to the unceremonious exit of RBI Governor today. We deprecate the systematic attack by the government on India’s Economy through a select band of government nominees arbitrarily dictating the Monitory Policies and compromising RBI’s institutional integrity.
India needs a government that is committed to faster economic growth which is socially inclusive and environmentally sustainable and growth that does not sharpen inequalities among people and among states. India needs a government that is not mired in rank corruption and loot of people’s resources, a government which does not attack the entire Banking System through insurmountable NPA’s benefitting crony capitalists. India needs a government that does not put a conspiratorial lid over multiple corruption scams like Rafale; nor becomes an abettor to the escape of bank defaulters.
India needs a government where Economic Growth focuses on addressing the concerns of small traders, shopkeepers and micro, small and medium enterprises that have been devastated by demonetisation and the ill-planned implementation of GST. We need a government where harassment of businessmen and industrialists would end and the spirit of enterprise must be allowed full freedom.
India needs a government that deals decisively with the problems of the present and the challenges of the future instead of a government that is only interested in re-imagining the past, re-writing and distorting history and re-naming cities and streets. India needs a government that listens to the people and not simply lectures to them.
India needs a government, for which Democracy is the magna carta beyond the victories and losses of electoral battles. Innumerable deficiencies, failures and plausible doubts on the neutral functionality of EVM’s per se have raised a question on the neutrality of poll process itself. It is our firm belief that this needs to be redressed without question and without delay.
In the course of the next few months we will place before the people of the country, a comprehensive programme of work anchored in complete transparency and accountability.
We call upon all liberal, progressive and secular forces to join us in our battle to save the Constitution, to protect parliamentary democracy, to preserve the freedom to think, speak and write as a free people, to strengthen the bonds of our unity while celebrating our diversity and to retrieve, repair and rebuild the economy. It is in the interests of safeguarding and strengthening our Constitutional Republic and People’s livelihood that this RSS/BJP government is ousted.

रविवार, 9 दिसंबर 2018

देख लो भैया गौर से इस काले कौवे को , जैसा इसका रूप हैं वैसी ही करतूतें

physicalsciences05.blogspot.com

देख लो भैया गौर से इस काले कौवे को , 

जैसा इसका रूप हैं वैसी ही करतूतें।


राजनीति के ये 'केतु' हैं ,'राहु' अपने राहुल भइया ,

 अपभाषा में माहिर हैं ,दोनों ही ये मरदूदे। 


देख लो भैया गौर से इस काले कौवे को , 

जैसा इसका रूप हैं वैसी ही करतूतें।


राजनीति के ये 'केतु' हैं ,'राहु' अपने राहुल भइया ,
पभाषा में माहिर हैं ,दोनों ही ये मरदूदे। 

असत्यानन्द कहो दोनों को ,
राजनीति के इब्न बतूते। 

छद्म भेष धारे हैं दोनों ,
जाने किस- किस के बलबूते। 


बात बनाने में प्रवीण हैं ,
कटी न ऊँगली पर ये मूतें। 


राजनीति के भूत न भागें ,

बिना लात सिर पे सौ जूते। 



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जब स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आयुष्मान योजना को लेकर केजरीवाल को आइना दिखाया। जरूर पढ़ें।

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Virendra Sharma बहुत नहीं सिर्फ़ चार कौए थे काले,
उन्होंने यह तय किया कि सारे उड़ने वाले
उनके ढंग से उड़े,, रुकें, खायें और गायें
वे जिसको त्यौहार कहें सब उसे मनाएं

कभी कभी जादू हो जाता दुनिया में
दुनिया भर के गुण दिखते हैं औगुनिया में
ये औगुनिए चार बड़े सरताज हो गये
इनके नौकर चील, गरुड़ और बाज हो गये.

हंस मोर चातक गौरैये किस गिनती में
हाथ बांध कर खड़े हो गये सब विनती में
हुक्म हुआ, चातक पंछी रट नहीं लगायें
पिऊ-पिऊ को छोड़े कौए-कौए गायें

बीस तरह के काम दे दिए गौरैयों को
खाना-पीना मौज उड़ाना छुट्भैयों को
कौओं की ऐसी बन आयी पांचों घी में
बड़े-बड़े मनसूबे आए उनके जी में

उड़ने तक तक के नियम बदल कर ऐसे ढाले
उड़ने वाले सिर्फ़ रह गए बैठे ठाले
आगे क्या कुछ हुआ सुनाना बहुत कठिन है
यह दिन कवि का नहीं, चार कौओं का दिन है

उत्सुकता जग जाए तो मेरे घर आ जाना
लंबा किस्सा थोड़े में किस तरह सुनाना ?
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