मज़हब और जाति के घेरे ,घेरे मेरी संसद को ,
रहने दो संसद को संसद ,तोड़ो घेरा बंदी को।
आसंदी का मान करो ,संसद का सम्मान करो ,
टेबिल पे चढ़के तुम भैया मत इतना अभिमान करो.
मत फैंकों कागज़ के टुकड़े सभापति के आसन पर ,
मत तोड़ो दरवाज़ों को ,दीवारों का ध्यान करो ,
वीडिओज़ का नित करते खेला ,
भीड़ युवा का ध्यान धरो, संसद का सम्मान करो।
मार्शल रखते ध्यान तुम्हारा ,तुम भी तो कुछ ध्यान धरो ,
मदमाया पद आनीजानी ,कहते सारे ग्यानी ,
कहलाते तुमभी तो ग्यानी ,अपना ही कुछ ध्यान धरो।
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