अहंकारी राहुल बाबा तीन प्रदेशों को 'नोटा 'की बदौलत जीत कर समझ रहें हैं अब भारत देश उनके नीचे है उनके पीछे चलेगा और सत्ता पक्ष मेरी कदम बोसी करेगा। ये नकलीशिवभक्त कॉल दत्तात्रेय (प्रपोौत्र श्री फ़िरोज़ खान )भूल चुका है ,यह एक सांसद भी है कांग्रेस का अध्यक्ष भी है। बार -बार अहंकार में भर कर कह रहा है : मैं सिद्ध कर दूंगा "अनिल अम्बानी से मिलकर मोदी ने राफेल डील में पैसा खाया है "जबकि देश की सर्वोच्च अदालत कह चुकी है सौदे में कोई गड़बड़ नहीं हुई है ,पाक साफ़ देश हित में हुआ है सौदा।असंसदीय है इस मतिमंद का सारा व्यवहार इस संसद -नुमा को इस देश से प्रतिरक्षा सेवा के उन अफसरानों से माफ़ी मांगनी चाहिए जो राफेल मामले में देश की खातिर प्रतिरक्षा सेवाओं का पक्ष रखनेसुप्रीम कोर्ट पहुंचे। पूरे देश का भारत धर्मी समाज का अपमान आखिर यह छैला राजकुमार किसके इशारे पर कर रहा है ?
अलबत्ता फैसले में कुछ तकनीकी अशुद्धियाँ रह गईं हैं जो आज कल में ही ठीक हो जाएंगी जिनका खरीद -फरोख्त की प्रक्रिया से कोई लेना देना नहीं है इसके बाद भी ये और इनके कई माउथ पीस खड़गे जेपीसी का राग अलाप रहे हैं। जेपीसी कोई लेखा समिति के अध्यक्ष का निर्णय नहीं होता है संसद के दोनों सदनों में विमर्श के बाद इसका फैसला होता है। महान्यायवादी और महालेखाकार को आप किस बिना पर बुलाने का अनर्गल प्रलाप कर रहें हैं जबकि कोई रिपोर्ट उन्होंने संसद को इस बाबत अभी सौंपी ही नहीं है वह रिपोर्ट पहले पूरी संसद देखेगी तब संसदीय लेखा समिति तक पहुंचेगी।
बड़े ज़हीन लोग हैं ये राहुल दत्तात्रेय और इनके चिरकुट न संसद में बहस को तैयार है न कचहरी में जाते हैं गली कूचौं में भौं भौं करते घूम रहे हैं। बन्दूक चलाने के लिए कंधे ढूंढ रहे हैं। राफेल को बोफोर्स बनाने का ख़ाब देख रहे हैं।एक एक करके सब इस मामले से दूर छिटक लेंगे,शुरुआत हो चुकी है।
जैश्रीकृष्णा !
शीर्षक :राफ़ेल को बोफोर्स बनाने की नाकामयाब कोशिश अहंकारी बाबा राहुल दत्तात्रेय की
अलबत्ता फैसले में कुछ तकनीकी अशुद्धियाँ रह गईं हैं जो आज कल में ही ठीक हो जाएंगी जिनका खरीद -फरोख्त की प्रक्रिया से कोई लेना देना नहीं है इसके बाद भी ये और इनके कई माउथ पीस खड़गे जेपीसी का राग अलाप रहे हैं। जेपीसी कोई लेखा समिति के अध्यक्ष का निर्णय नहीं होता है संसद के दोनों सदनों में विमर्श के बाद इसका फैसला होता है। महान्यायवादी और महालेखाकार को आप किस बिना पर बुलाने का अनर्गल प्रलाप कर रहें हैं जबकि कोई रिपोर्ट उन्होंने संसद को इस बाबत अभी सौंपी ही नहीं है वह रिपोर्ट पहले पूरी संसद देखेगी तब संसदीय लेखा समिति तक पहुंचेगी।
बड़े ज़हीन लोग हैं ये राहुल दत्तात्रेय और इनके चिरकुट न संसद में बहस को तैयार है न कचहरी में जाते हैं गली कूचौं में भौं भौं करते घूम रहे हैं। बन्दूक चलाने के लिए कंधे ढूंढ रहे हैं। राफेल को बोफोर्स बनाने का ख़ाब देख रहे हैं।एक एक करके सब इस मामले से दूर छिटक लेंगे,शुरुआत हो चुकी है।
जैश्रीकृष्णा !
शीर्षक :राफ़ेल को बोफोर्स बनाने की नाकामयाब कोशिश अहंकारी बाबा राहुल दत्तात्रेय की
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