'हुकुम रजाई चलणा नानक लिखिआ नालि ' भावार्थ :उसकी रजा यह है सब खुश रहें लेकिन उसकी रजा के पीछे एक और भी रजा है हर कोई प्रकृति के नियम की पालना करे। वह नियम हमारे माथे पे लिखा है ,हमारे साथ चल रहा है।
'हुकुम रजाई चलणा नानक लिखिआ नालि '
भावार्थ :उसकी रजा यह है सब खुश रहें लेकिन उसकी रजा के पीछे एक और भी रजा है हर कोई प्रकृति के नियम की पालना करे। वह नियम हमारे माथे पे लिखा है ,हमारे साथ चल रहा है।
हमारे दुःख का मतलब है हमने ज़रूर किसी नियम की कभी उलंघना की होगी वही इस दुःख की वजह बना है। सुख का मतलब नियम की अनुपालना है। परमात्मा (वाह गुरु किसी को दुःख देता है न सुख ).
नियम है एक बीज बोया पृथ्वी हज़ार हज़ार बीज लौटा देती है। एक उपकार किसी के साथ किया हज़ार उपकार करने हम पर लोग आ जाते हैं। एक काँटा बोया किसी की राह में हज़ार हज़ार कंटक कांटे हमारी राह में लौट आते हैं।
कोई न काहू को सुख दुःख कर दाता ,निज कृत कर्म ....
कर्म प्रधान विश्व करि राखा ,जो जस करहि सो तस फल चाखा।
परमात्मा को दोष मत दो अपनी विफलता का।
विशेष :ये प्रकृति के नियम क्या हैं सभी धर्म -ग्रंथों में इनके बारे में बतलाया गया है -बाइबिल ,कुरआन ,रामायण ,आदिगुरुश्रीग्रंथ साहब ,धम्मपद ,श्रीमद्भगवद्गीता ,तोरह या हेब्रू बाइबिल आदिक -यकसां हैं सब जगह सब कालों में।
https://www.youtube.com/watch?v=w_2QabR2EDI
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