वृक्षाणां रक्षति वृक्षैव रक्षित :
एक वृक्ष सैंकड़ों परिंदों को पनाह देता है उनका कुदरती आवास कहो तो रैन बसेरा या हेबिटाट बनता है। राहगीर को बरसात से बचाता है। अपने जीवन काल में दो व्यक्तिओं को जीवन रक्षक ऑक्सीजन मुहैया करवाता है फलदार वृक्ष हमारा पोषण करते हैं और मरते मरते अपनी खाद भी खुद ही बन जाते हैं। एक जंगल एक जीता जागता पर्यावरण -पारिस्थिति तंत्र होता है कितने वन्य पशुओं का रक्षक और प्रहरी बना रहता है ज़रा सा बस ज़रा सा भी इस दिशा में सोच के देखिये।
एक वृक्ष अपने जीवन काल में दस -वातानुकूलित संयंत्रों की तरह हमारे परिसर के तापमान और आद्रता दोनों को हमारे अनुकूल बनाकर खड़ा रहता है।बिना बिजली का एअरकंडीशनर हैं वृक्ष। कल्पना कीजिए केलिफोर्निया को छोड़िये औस्ट्रेलियाई जंगल भी जब धू धू करके दीर्घकाल तक जलता रहता है और ये दावानल रुकाये नहीं रुकता है तब कितनी नुकसानी होती होगी। जंगल का क्रंदन चीखपुकार क्या हम कभी सुन पायेंगें ? और यह सब हमारी लापरवाही बे -दिली से हो रहा है हम जंगलात की ट्रिमिंग करना वनमाफिया के लोभ लालच के चलते भूल चुके हैं वरना सालाना सूख चुके झाड़ झंखाड़ों को तो कमसे कम हटाते। जबकि वृक्ष कार्बन के कुदरती सिंक हैं आगार हैं। हमारी हवा पानी मिट्टी हमारे पर्यावरण पारितंत्रों के हरे भरे ब्लोटिंग पेपर हैं। मृदा का अपरदन टॉप साइल के क्षरण को रोके रहते हैं वृक्ष। पहाड़ का हरा बिछौना नुंचा ,नंगा हुआ पहाड़ नदियों में मिट्टी पर्बतों से बहकर आई बाढ़ का सबब बारहा बनी हैं इसी तरह। वायुमंडलीय शंकर हैं ,विषपाई हैं वृक्ष प्रदूषण की मार से हमारी हिफाज़त करते हैं.
हम जो जंगलातों का सफाया करने पर आमादा हैं गर ऐसा न करते होते तो आज जलवायु आपात्काल की कौन कहे कभी इबोला कभी सार्स कभी स्वाइन फ्लू कभी सार्स -कोव -२ की मार से बचे रहते। अभी भी वक्त हैं आइंदा आने वाले ऐसे ही रोगों की वैश्विक -महामारी से हम बचे रह सकते यदि हम अपने अस्तित्व से जूझ रहे इन प्राचीन अवैतनिक चौकीदारों पहरुवों को बचा पाएं। तकरीबन एक ट्रिलियन यानी दस ख़राब ऐसे ही हमारे बुजुर्ग वृक्ष आज अपने अस्तित्व के लिए हमारी और देख रहें हैं।
जबकि ये हमारे अनुसंधानों हमारी साधना को ऐड़ लगाए रहें हैं। न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत की खोज के गार्डन में ही तब की थी जब अकस्मात एक अपील टूट कर उनके सिर पर आ गिरा। बोधि वृक्ष के नीचे ही गौतम बुद्ध ने ज्ञान अर्जित किया।
सन्दर्भ -सामिग्री और अनुप्रेरण : TIMES EVOKE "THE TREES OF OUR LIVES "(TOI APRIL 18,2020 P10.
Sometimes, the greatest journeys occur when we stand still. ..
एक वृक्ष सैंकड़ों परिंदों को पनाह देता है उनका कुदरती आवास कहो तो रैन बसेरा या हेबिटाट बनता है। राहगीर को बरसात से बचाता है। अपने जीवन काल में दो व्यक्तिओं को जीवन रक्षक ऑक्सीजन मुहैया करवाता है फलदार वृक्ष हमारा पोषण करते हैं और मरते मरते अपनी खाद भी खुद ही बन जाते हैं। एक जंगल एक जीता जागता पर्यावरण -पारिस्थिति तंत्र होता है कितने वन्य पशुओं का रक्षक और प्रहरी बना रहता है ज़रा सा बस ज़रा सा भी इस दिशा में सोच के देखिये।
एक वृक्ष अपने जीवन काल में दस -वातानुकूलित संयंत्रों की तरह हमारे परिसर के तापमान और आद्रता दोनों को हमारे अनुकूल बनाकर खड़ा रहता है।बिना बिजली का एअरकंडीशनर हैं वृक्ष। कल्पना कीजिए केलिफोर्निया को छोड़िये औस्ट्रेलियाई जंगल भी जब धू धू करके दीर्घकाल तक जलता रहता है और ये दावानल रुकाये नहीं रुकता है तब कितनी नुकसानी होती होगी। जंगल का क्रंदन चीखपुकार क्या हम कभी सुन पायेंगें ? और यह सब हमारी लापरवाही बे -दिली से हो रहा है हम जंगलात की ट्रिमिंग करना वनमाफिया के लोभ लालच के चलते भूल चुके हैं वरना सालाना सूख चुके झाड़ झंखाड़ों को तो कमसे कम हटाते। जबकि वृक्ष कार्बन के कुदरती सिंक हैं आगार हैं। हमारी हवा पानी मिट्टी हमारे पर्यावरण पारितंत्रों के हरे भरे ब्लोटिंग पेपर हैं। मृदा का अपरदन टॉप साइल के क्षरण को रोके रहते हैं वृक्ष। पहाड़ का हरा बिछौना नुंचा ,नंगा हुआ पहाड़ नदियों में मिट्टी पर्बतों से बहकर आई बाढ़ का सबब बारहा बनी हैं इसी तरह। वायुमंडलीय शंकर हैं ,विषपाई हैं वृक्ष प्रदूषण की मार से हमारी हिफाज़त करते हैं.
हम जो जंगलातों का सफाया करने पर आमादा हैं गर ऐसा न करते होते तो आज जलवायु आपात्काल की कौन कहे कभी इबोला कभी सार्स कभी स्वाइन फ्लू कभी सार्स -कोव -२ की मार से बचे रहते। अभी भी वक्त हैं आइंदा आने वाले ऐसे ही रोगों की वैश्विक -महामारी से हम बचे रह सकते यदि हम अपने अस्तित्व से जूझ रहे इन प्राचीन अवैतनिक चौकीदारों पहरुवों को बचा पाएं। तकरीबन एक ट्रिलियन यानी दस ख़राब ऐसे ही हमारे बुजुर्ग वृक्ष आज अपने अस्तित्व के लिए हमारी और देख रहें हैं।
जबकि ये हमारे अनुसंधानों हमारी साधना को ऐड़ लगाए रहें हैं। न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत की खोज के गार्डन में ही तब की थी जब अकस्मात एक अपील टूट कर उनके सिर पर आ गिरा। बोधि वृक्ष के नीचे ही गौतम बुद्ध ने ज्ञान अर्जित किया।
सन्दर्भ -सामिग्री और अनुप्रेरण : TIMES EVOKE "THE TREES OF OUR LIVES "(TOI APRIL 18,2020 P10.
Sometimes, the greatest journeys occur when we stand still. ..
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें