Bengal Chunav: ममता बनर्जी और सीपीएम के उस 'षड्यंत्र' को अबतक नहीं भूले लालू आलम! बोले- बदला जरूर लूंगा चाहे...
बंगाल विधानसभा चुनाव के बीच ममता बनर्जी हिंदू मतदाताओं को भी साधने के लिए कवायद करती हुई नजर आईं। लालू आलम जिन पर ममता बनर्जी पर हमले का आरोप लगा था, उन्होंने 1990 के एक किस्से का जिक्र किया है।
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साल 1990, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee Latest News) कांग्रेस को मजबूत करने में जुटी हुई थीं। साउथ कोलकाता स्थित हाजरा में ममता बनर्जी युवा कांग्रेस (Lalu Alam Case) के एक आंदोलन का नेतृत्व करने वाली थीं। उधर, सीपीएम की यूथ विंग डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) के सदस्यों की अलग-अलग क्षेत्रों में ड्यूटी लगाई गई थी। इसी बीच ममता बनर्जी पर हमले की खबर सामने आई। वह सड़क पर गिर गईं। ममता पर हमले का आरोप उस वक्त सीपीएम की यूथ विंग के सचिव रहे लालू आलम पर लगा था।
29 साल बाद लालू आलम को ममता पर हमले के आरोपों से बरी कर दिया गया। लालू आलम आज भी उस किस्से को याद करते हैं। एनबीटी ऑनलाइन ने लालू आलम से बात की।
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'...और हमें घेर लिया गया'
लालू आलम कहते हैं, 'ममता बनर्जी को उस वक्त हिंदू वोटबैंक की जरूरत थी। मैं मुसलमान था। मुझे आरोपी बना दिया। ड्रामा किया गया और मुझे जेल भेज दिया गया। मैं उस वक्त सीपीएम में था। कांग्रेस ने एक स्ट्राइक का आह्वान किया था। सीपीएम की ओर से अलग-अलग हिस्सों में हमारी ड्यूटी लगाई गई थी। ये लोग हंगामा कर रहे थे। हम सभी लोगों ने इन्हें रोका। इस बीच हाजरा मोड़ के पास वह बेहोश हो गई थीं। मैं बालीगंज में था। उन्हें पता था कि मैं अपने क्षेत्र में बहुत मजबूत हूं। वह यह भी जानती थी कि अगर बादशाह आलम (लालू आलम के भाई) को कमजोर नहीं किया गया तो उन्हें जीत दर्ज करने में मुश्किल पैदा होगी। सीपीएम के कुछ लोगों को साथ लेकर उन्होंने हमें घेर लिया।'
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बादशाह आलम के रसूख के चलते लालू आलम सीपीएम से जुड़ गए थे। लालू 1980 के अंत तक कांग्रेस में भी रहे।
'मुझे बेल नहीं मिल पा रही थी क्योंकि...'
लालू कहते हैं, 'रात तकरीबन 2 बज रहे थे। उस वक्त हम फुल पॉवर में थे। पुलिस हमारे सपॉर्ट में थी। फिर भी मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। सीपीएम में यह प्लान बन चुका था कि अगर ममता बनर्जी खड़ी होती हैं तो कांग्रेस टूट जाएगी। हमें बलि का बकरा बना दिया गया। 29 साल बाद मुझे आरोपों से बरी किया गया। 6 महीने तक मुझे जेल में रखा गया। जब मुझे बाहर निकलना होता तो वह अस्पताल पहुंच जाती थीं। इस वजह से मुझे बेल नहीं मिल पा रही थी।'
मैं भवानीपुर, बालीगंज क्षेत्र में पॉपुलर था। युवा मेरे साथ थे। उस वक्त हमारा संगठन बहुत मजबूत हुआ करता था। बादशाह आलम साउथ कोलकाता से चुनाव में उतरने वाले थे। रविंद्र देब नहीं चाहते थे कि बादशाह आलम चुनाव में उतरे। ममता बनर्जी भी यही चाहती थीं।
लालू आलम
'थानों में भी उनकी ही सुनी जाती थी'
लालू आलम ने कहा, 'उस वक्त हमारे पास एक रेस्ट्रॉन्ट था। एक फोटोकॉपी की दुकान भी थी। फोटोकॉपी वाली दुकान हमसे छीन ली गई थी। यह दुकान बेग बगान में थी। रेस्ट्रॉन्ट में तो तोड़फोड़ की गई थी। 3 साल बाद वे लोग यह नहीं चाहते थे कि मैं किसी दल में शामिल हो पाऊं। वे लोग हमें डराते थे। थाने में भी मुझे बोला गया कि यह सब राजनीतिक बातें हैं, आपस में इन चीजों को सॉल्व कर लो। जब हमने हकीकत समझ ली तो बादशाह आलम ने सीपीएम का दामन छोड़ दिया। दुकान में जो तोड़फोड़ की उस मामले में केस चल रहा है। फिर मुझ पर केस कर दिया गया। थानों में उनकी बात सुनी जाती थी।'
'मैं उनसे बदला तो जरूर लूंगा'
लालू कहते हैं, 'मैं अब बीजेपी में हूं। बालीगंज मंडल-3 का मैं उपाध्यक्ष हूं। मैं बदला तो जरूर लूंगा भले ही मैं कितना भी बूढ़ा हो जाऊं। मैं भारतीय जनता पार्टी का अब फुल सपॉर्ट कर रहा हूं। बादशाह आलम को उम्मीदवार नहीं बनाया गया तो वह हाल ही में नाराज हो गए। मैंने उन्हें समझाया कि यह नाराजगी ठीक नहीं क्योंकि तुम्हारी उम्र हो चुकी है। अब उनकी भी नाराजगी खत्म हो चुकी है। 29 वर्षों तक केस चलने के बाद मैं आरोपों से बरी हुआ।'
वोट के द्वारा वादला लो. कौन रोकता है.
Manoj Manoj
वोट के द्वारा बदला लो प्रजातंत्र की यही रवायत यही है शोभा
वीरुभाई
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