बीजगणित-सी शाम,
रेखाओं में खिंची हुई है
मेरी उम्र तमाम!
भोर-किरण ने दिया गुणनफल
दुख का, सुख का भाग,
जोड़ दिये आहों में आँसू
घटा प्रीत का फाग,
प्रश्नचिह्न ही मिले सदा से
मिला न पूर्ण विराम!
~डॉ.कुँअर बेचैन
सादर नमन
#जन्मदिवस पर विशेष :रचनाकार का परिचय उसका रचना संसार ही होता है उनके जन्मदिवस पर उनकी रचनाओं की याद ही उनकी सच्ची याद है जन्मजयंती है। एक फलसफा एक पॉजिटिविटी उनकी तमाम रचनाओं में सीधे श्रोता को सोचने पर विवश करता है हम भी इधर उधर विखंडित होते धागों को जोड़ें संस्कृति के क्षय को राष्ट्र के विखंड को रोकें आसार अच्छे नहीं हैं भले बहुत मुश्किल यह ये काम कुंवर जी के शब्दों में वैसे ही जैसे पानी पे पानी लिखना -
दिल पे मुश्किल है बहुत दिल की कहानी लिखना
जैसे बहते हुए पानी पे हो पानी लिखना
कोई उलझन ही रही होगी जो वो भूल गया
मेरे हिस्से में कोई शाम सुहानी लिखनाआते जाते हुए मौसम से अलग रह के ज़रा
अब के ख़त में तो कोई बात पुरानी लिखना
कुछ भी लिखने का हुनर तुझ को अगर मिल जाए
इश्क़ को अश्कों के दरिया की रवानी लिखनाइस इशारे को वो समझा तो मगर मुद्दत बाद
अपने हर ख़त में उसे रात-की-रानी लिखना
.... .... गज़लकार कुंवर बेचैन साहब
दीवारों पे दस्तक देते रहिएगा ,
दीवारों में दरवाज़े बन जाएंगे।
उनकी ही आवाज़ में सुनियेगा दुबई की धरती से इस देसी आवाज़ को :
https://www.youtube.com/watch?v=5sx41sCiD9Q
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