गुरुवार, 20 मई 2021

Aerosols from Covid-19 infected person can travel in air upto 10 metres: Govt (Hindi also )

 The "easy to follow guidelines" highlight the role of masks, social distancing, sanitation and ventilation in the country's fight against Covid-19.

Stopping the transmission of the Covid-19 virus from a person to another person will decrease the infection rate of the disease to a level where it can eventually die, according to the government.(AFP)

Stopping the transmission of the Covid-19 virus from a person to another person will decrease the infection rate of the disease to a level where it can eventually die, according to the government.(AFP)

The government on Thursday issued a set of guidelines to stop the spread of the coronavirus disease (Covid-19) as the country reels under the second wave of the pandemic. The "easy to follow guidelines" highlight the role of masks, social distancing, sanitation and ventilation in the country's fight against Covid-19, according to a release issued by the office of the principal scientific adviser to the government.

Droplets fall within 2 meters from an infected person: Office of Principal
Scientific Adviser to GoI

Throwing light on how well-ventilated spaces can reduce the risk of transmission from one infected person to the other, the guidelines say, "Just as smells can be diluted from the air through opening windows and doors and using exhaust systems, ventilating spaces with improved directional air flow decreases the accumulated viral land in the air, reducing the risk of transmission."

It is important to remember that those with no symptoms could also spread the virus, the guidelines said. Saliva and nasal discharge in the form of droplets and aerosols are the primary mode of transmission of the virus from an infected person, it added. To prevent this from happening, everyone should continue to wear double masks as these droplets are transmitted while exhaling, talking, speaking, singing, laughing, coughing, sneezing etc.

"Droplets fall within 2 meters from an infected person and aerosols can be carried in the air up to 10 meters," the government said.

The virus infects human hosts, where it can multiply, and in the absence of the host, it cannot survive, the government said. "Stopping the transmission of the virus from a person to another person will decrease the infection rate of the disease to a level where it can eventually die. This can be achieved only with the support and cooperation of individuals, communities, local bodies and authorities. Use of masks, ventilation, diसांस stancing, and sanitation, the battle against the virus can be won," it added.

विशेष :यदि आप कोरोना पॉज़िटिव हैं कोविड -१९ से संक्रमित हैं और मास्क नहीं पहने हैं तब आप औसतन एक माह में ४०६ लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। 

ऐसा करना अपने पराये सभी के साथ विश्वासघात है। मास्क पहनने के बाद संक्रमण आपसे सिर्फ ढ़ाई लोगों तक ही पहुँच सकेगा।

आप के खांसने छींकने रोने गाने चिल्लाने पर लार की बूंदियां हवा में तैरती रहती हैं ये ही एअर बोर्न ट्रांसमिशन का सबब बनतीं हैं आपके असावधान रहते कोरोना प्रोटोकॉल कोविड अनुरूप आचरण न करने पर। दो मीटर तक ये एयरोसौल्ज़ हवा में जाते हैं जिन्हें हवा दस मीटर तक उड़ा ले जाती है। 

अभी आप देखते जाइये क्या हाल होने वाला है सिंघु बॉर्डर पर जहां वेषधारी किसान बैठे हैं आपदा के समय ये अपना बेहूदा गैर -वाज़िब एजेंडा कांग्रेस किट का हिस्सा बने बढ़ाये जा आरहे हैं इन्हें न अपने परिवार की चिंता हैं न देश समाज की। 

मेरा पेट हाउ मैं जानू काऊ 

आपसी अपील है करबद्ध निवेदन हैं कृपया राहुल गांधी प्रियंका गेंद की तरह बिना टिका लगवाए घूमें कहीं भी हर समय दो मास्क लगाएं खासकर जब कोई बाहर से आपके घर में प्रवेश ले। 

आवाजाही मुल्तवी रखें। 

 


सोमवार, 3 मई 2021

हनुमान चालीसा भावार्थ सहित साथ में हरिओम शरण की मनमोहक माधुर्य सिक्त गायकी

हनुमान चालीसा भावार्थ सहित साथ में हरिओम शरण की मनमोहक माधुर्य सिक्त गायकी 

शक्ति व बल के प्रतीक पवन पुत्र हनुमान, भगवान राम के परम भक्त थे. भक्तगण उन्हें भय और कष्ट से मुक्ति पाने के लिए पूजते हैं व उनकी अराधना में ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ पढ़ते हैं. यह पाठ हमारे लिए किसी भी विकार व डर को दूर करने में सहायक होता है. लेकिन क्या आपने कभी हनुमान चालीसा के प्रत्येक अक्षर का अर्थ समझा है? यदि नहीं, तो आईए जानने की कोशिश करते हैं.

दोहा: श्रीगुरु चरण सरोज रजनिज मनु मुकुर सुधारि।

बरनउ रघुवर बिमल जसुजो दायकु फल चारि॥

बुद्धिहीन तनु जानिकेसुमिरौं पवन कुमार।

बल बुधि विद्या देहु मोहिहरहु कलेश विकार॥

अर्थ: इन पंक्तियों में राम भक्त हनुमान कहते हैं कि चरण कमलों की धूल से अपने मन रूपी दर्पण को स्वच्छ कर, श्रीराम के दोषरहित यश का वर्णन करता हूं जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष रूपी चार फल देने वाला है. इस पाठ का स्मरण करते हुए स्वयं को बुद्धिहीन जानते हुए, मैं पवनपुत्र श्रीहनुमान का स्मरण करता हूं जो मुझे बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करेंगे और मेरे मन के दुखों का नाश करेंगे.

जय हनुमान ज्ञान गुन सागरजय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥

राम दूत अतुलित बल धामाअंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥२॥

महाबीर बिक्रम बजरंगीकुमति निवार सुमति के संगी॥३॥

कंचन बरन बिराज सुबेसाकानन कुंडल कुँचित केसा॥४॥

अर्थ: इसका अर्थ है कि हनुमान स्वंय ज्ञान का एक विशाल सागर हैं जिनके पराक्रम का पूरे विश्व में गुणगान होता है. वे भगवान राम के दूत, अपरिमित शक्ति के धाम, अंजनि के पुत्र और पवनपुत्र नाम से जाने जाते हैं. हनुमान महान वीर और बलवान हैं, उनका अंग वज्र के समान है, वे खराब बुद्धि दूर करके शुभ बुद्धि देने वाले हैं, आप स्वर्ण के समान रंग वाले, स्वच्छ और सुन्दर वेश वाले हैं व आपके कान में कुंडल शोभायमान हैं.


हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे,काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥

शंकर सुवन केसरी नंदनतेज प्रताप महा जगवंदन॥६॥

विद्यावान गुनी अति चातुरराम काज करिबे को आतुर॥७॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसियाराम लखन सीता मनबसिया॥८॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावाविकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥

भीम रूप धरि असुर संहारेरामचंद्र के काज सवाँरे॥१०॥

अर्थ: अर्थात हनुमान के कंधे पर अपनी गदा है और वे हरदम श्रीराम की आराधना व उनकी आज्ञा का पालन करते हैं. हनुमान सूक्ष्म रूप में श्रीसीताजी के दर्शन करते हैं, भयंकर रूप लेकर लंका का दहन करते हैं, विशाल रूप लेकर राक्षसों का नाश करते हैं. आप विद्वान, गुणी और अत्यंत बुद्धिमान हैं व श्रीराम के कार्य करने के लिए सदैव उत्सुक रहते हैं. हनुमान के महान तेज और प्रताप की सारा जगत वंदना करता है.


लाय सजीवन लखन जियाएश्री रघुबीर हरषि उर लाए॥११॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाईतुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥१२॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैअस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥

अर्थ: भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण की जान बचाने के लिए संजीवनी बूटी लाकर हनुमान जी ने अपने आराध्य श्रीराम का मन मोह लिया. श्रीराम इतने खुश हुए कि उन्होंने अपने भाई भरत की तरह अपना प्रिय भाई माना. इससे हमें सीख लेनी चाहिए. किसी काम को करने में देर नहीं करनी चाहिए, अच्छे फल अवश्य मिलेंगे.


सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसानारद सारद सहित अहीसा॥१४॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते,कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥१५॥

अर्थ: हनुमान जी का ऐसा व्यक्तित्व है जिसका कोई भी सनक आदि ऋषि, ब्रह्मा आदि देव और मुनि, नारद, यम, कुबेर आदि वर्णन नहीं कर सकते हैं, फिर कवि और विद्वान कैसे उसका वर्णन कर सकते हैं.

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हाराम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥

अर्थ: भाव, हनुमान ने ही श्रीराम और सुग्रीव को मिलाने का काम किया जिसके चलते सुग्रीव अपनी मान-प्रतिष्ठा वापस हासिल कर पाए.


तुम्हरो मंत्र बिभीषण मानालंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥

अर्थ: हनुमान की सलाह से ही विभीषण को लंका का सिंघासन हासिल हुआ.

जुग सहस्त्र जोजन पर भानूलिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीजलधि लाँघि गए अचरज नाही॥१९॥

अर्थ: इन पंक्तियों से हनुमान के बचपन का ज्ञान बोध भान  होता है जब उन्हें भीषण भूख सता रही थी और वे सूर्य को मीठा फल समझकर उसे खाने के लिए आकाश में उड़ गए. आपने वयस्कावस्था में श्रीराम की अंगूठी को मुंह में दबाकर लंका तक पहुंचने के लिए समुद्र पार किया.


दुर्गम काज जगत के जेतेसुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥

राम दुआरे तुम रखवारेहोत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥

अर्थ: जब आपकी जिम्मेदारी में कोई काम होता है, तो जीवन सरल हो जाता है. आप ही तो स्वर्ग यानी श्रीराम तक पहुंचने के द्वार की सुरक्षा करते हैं और आपके आदेश के बिना कोई भी वहां प्रवेश नहीं कर सकता.


सब सुख लहैं तुम्हारी सरनातुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥

आपन तेज सम्हारो आपैतीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥

भूत पिशाच निकट नहि आवैमहावीर जब नाम सुनावै॥२४॥

नासै रोग हरे सब पीराजपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥

अर्थ: अर्थात हनुमान के होते हुए हमें किसी प्रकार का भय सता नहीं सकता. हनुमान के तेज से सारा विश्व कांपता है. आपके नाम का सिमरन करने से भक्त को शक्तिशाली कवच प्राप्त होता है और यही कवच हमें भूत-पिशाच और बीमारियों बचाता है.


संकट तै हनुमान छुडावैमन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥२६॥

सब पर राम तपस्वी राजातिनके काज सकल तुम साजा॥२७॥

और मनोरथ जो कोई लावै,सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥

अर्थ: इसका अर्थ है कि जब भी हम रामभक्त हनुमान का मन से स्मरण करेंगे और उन्हें याद करेंगे तो हमारे सभी काम सफल होंगे. हनुमान का मन से जाप करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं.


चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥

साधु संत के तुम रखवारेअसुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाताअस बर दीन जानकी माता॥३१॥

अर्थ: आप सभी जगह समाए हो, आपकी छवि चारों लोकों से भी बड़ी है व आपका प्रकाश सारे जगत में प्रसिद्ध है. आप स्वंय साधु- संतों की रक्षा करने वाले हैं, आप ही तो असुरों का विनाश करते हैं जिसके फलस्वरूप आप श्रीराम के प्रिय भी हैं. इतने बल व तेज के बावजूद भी आप कमजोर व मददगार की सहायता करते हैं व उनकी रक्षा के लिए तत्पर तैयार रहते हैं.

राम रसायन तुम्हरे पासासदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥

तुम्हरे भजन राम को पावैजनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥

अंतकाल रघुवरपुर जाईजहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥

और देवता चित्त ना धरई,हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥

अर्थ: इस पंक्ति का अर्थ है कि केवल हनुमान का नाम जपने से ही हमें श्रीराम प्राप्त होते हैं. आपके स्मरण से जन्म- जन्मान्तर के दुःख भूल कर भक्त अंतिम समय में श्रीराम धाम में जाता है और वहाँ जन्म लेकर हरि का भक्त कहलाता है. दूसरे देवताओं को मन में न रखते हुए, श्री हनुमान से ही सभी सुखों की प्राप्ति हो जाती है.


संकट कटै मिटै सब पीराजो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥

जै जै जै हनुमान गुसाईँकृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥

अर्थ: अर्थात हनुमान का स्मरण करने से सभी दुख-दर्द खत्म हो जाते हैं. आपका दयालु हृदय नम्र स्वभाव लोगों पर हमेशा दया करता है.


जो सत बार पाठ कर कोईछूटहि बंदि महा सुख होई॥३८॥

जो यह पढ़े हनुमान चालीसाहोय सिद्ध साखी गौरीसा॥३९॥

अर्थ: इस पंक्ति से तात्पर्य है कि यदि आप सौ बार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो आपको सिर्फ सुख व शांति प्राप्त होगी बल्कि शिव-सिद्धी भी हासिल होगी और साथ ही मनुष्य जन्म-मृत्यु से भी मुक्त हो जाता है.


तुलसीदास सदा हरि चेराकीजै नाथ हृदय मह डेरा॥४०॥

अर्थ: महान कवि तुलसीदास ने अपनी इस कविता का समापन करते हुए बताया है कि वे क्या हैं?…वे स्वयं को भगवान का भक्त कहते हैं, सेवक मानते हैं और प्रार्थना करते हैं कि प्रभु उनके हृदय में वास करें।


पवन तनय संकट हरनमंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहितहृदय बसहु सुर भूप॥

अर्थ: आप पवनपुत्र हैं, संकटमोचन हैं, मंगलमूर्ति हैं व आप देवताओं के ईश्वर श्रीराम, श्रीसीता जी और श्रीलक्ष्मण के साथ मेरे हृदय में निवास कीजिए.

https://www.youtube.com/watch?v=ObOumP8IC5A

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