बुधवार, 10 अगस्त 2022

कुंबाई उकील साहब

 इस देश में चंद नामचीन कुनबे तमाम संविधानिक संस्थाओं से अपने आप को ऊपर मान बैठे हैं। इनके उकील भी ऐसी ही भाषा बोलते हैं। भारतधर्मी समाज इन्हें कुंबाई उकील मानता है। कुनबे ये बदलते रहते हैं अपने सिब्बल साहब को ही लीजिये पहले ये नेहरुवंशीय अवशेष के उकील थे अब मुलायम कुनबे के। इस या उस कुनबे का आश्रय इन्हें चाहिए। 


बक़ौल आदरणीय सिब्बल साहब -"मुझे सुप्रीम कोर्ट से कोई उम्मीद नहीं है,पचास सालों के मेरे अनुभव का आज मेरा यही निचोड़ है "होगी नाउम्मीदी आपको ये आपकी समस्या है - ज़नाब आपके अपने विचार हैं। सुप्रीम कोर्ट नीरक्षीर विवेकी संस्था है। 

शीतलवाड़ों से लेकर छद्म गांधियों तक उसने न्याय दिया सबको। तथ्यों की विवेचना के आधार पर.

ज़नाब सिब्बल किसी ऊंचे आसन पे अपने आपको बैठा मान समझ रहे हैं जिनकी निगाह में  अपेक्स कोर्ट एक ऐसा बच्चा है जिससे उन्हें अब कोई उम्मीद नहीं रह गई है। स्वयं घोषित माईबाप ऐसा सोचेँ किसी को क्या एतराज हो सकता है बहरसूरत ये बड़बोलापन कोर्ट की अवमानना के तहत आता है भारत धर्मी समाज की आस्थाओं विश्वासों पर भी प्रहार है। उन्हें ऐसे अनर्गल प्रलाप से बचना चाहिए। राम मंदिर मामले में तीस्ता शीतल वाड़ के मामले में आप के अनुकूल कुछ न हो सका। चौकीदार बेदाग़ निकल आया है। इसका आपको लगता है राहुल और उनकी अम्मा से ज्यादा अफ़सोस है। हुआ करे। 

शीषक :कुंबाई उकील साहब 

सोमवार, 30 अगस्त 2021

बीज वही है जैसी मैया, मिलके नाचों ता -ता - थइयाँ।

जैसे पाकिस्तान में ,खुरासान मॉड्यूल ,

बिलकुल वैसा ही यहां , ख़ुराफ़ात मॉड्यूल 

 ख़ुराफ़ात मॉड्यूल चलाता है जो बच्चा ,

उसे न दिखता काम हो रहा है जो अच्छा। 

पूछा करे सवाल हमेशा कैसे -कैसे ,

जान जान अनजान बने बुड़बक के जैसे।(आशुकवि ओमप्रकाश तिवारी ) 

शब्दार्थ :बुड़बक -बोड़म ,बे -वक़ूफ़ ,अनजान ,मूर्ख 

विशेष :

कैसा  फ़ितरती देखो, है यह बच्चा ,

नाम जानता है जिसका हर  बच्चा। 

बावन साला है ये बच्चा। 

नाम कई इस बच्चे के हैं -

कहते कुछ हैं अबुधकुमार ,मतिमंद इसे हैं -

खुरासान -बाबा कहते कुछ। 

नहीं दोष इसका कुछ भैया ,

बीज वही है जैसी  मैया,

मिलके नाचों ता -ता  - थइयाँ। 


मंगलवार, 17 अगस्त 2021

अफगानिस्तान में तालिबान के स्थापित होते ही अब पाकिस्तान अपने यहां सक्रिय आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को लेकर चिंतित हो गया है

  

तालिबान के आगे गिड़गिड़ाया पाकिस्‍तान, तहरीक-ए-तालिबान से बचाने की लगाई गुहार।
Publish Date:Tue, 17 Aug 2021 06:41 PM (IST)Author: Ramesh Mishra

अफगानिस्तान में तालिबान के स्थापित होते ही अब पाकिस्तान अपने यहां सक्रिय आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को लेकर चिंतित हो गया है। टीटीपी अब तक अफगानिस्तान में तालिबान की मदद कर रहा था। पाक ने कहा कि वे अफगानिस्तान की धरती को टीटीपी की गतिविधियों का ठिकाना न बनने दे।

इस्लामाबाद, एजेंसी। अफगानिस्तान में तालिबान के स्थापित होते ही अब पाकिस्तान अपने यहां सक्रिय आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को लेकर चिंतित हो गया है। टीटीपी अब तक अफगानिस्तान में तालिबान की मदद कर रहा था। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शेख राशिद ने कहा कि तालिबान से इस संबंध में बात की गई है। उनसे कहा गया है कि वे अफगानिस्तान की धरती को टीटीपी की गतिविधियों का ठिकाना न बनने दे।

टीटीपी कमांडर अफगानिस्तान की जेलों से रिहा

उल्लेखनीय है कि हाल ही में टीटीपी के कमांडरों को अफगानिस्तान की जेलों से रिहा किया गया है। इनमें टीटीपी का पूर्व डिप्टी चीफ मौलाना फकीर मुहम्मद भी शामिल है। आतंकी संगठन टीटीपी और आइएस के आतंकी वर्तमान में अफगानिस्तान के नूरिस्तान और निगार में अपने ठिकाने बनाए हुए हैं। पूर्व में पाकिस्तान तालिबान और टीटीपी के डर की वजह से ही अमेरिका को सहयोग करता था। अब स्थितियां बदल गई हैं।

कौन है तहरीक-ए-तालिबान

पाकिस्तान में अब तक जितने भी आतंकवादी संगठन अस्तित्व में आए हैं, उनमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का सबसे खतरनाक आतंकी संगठन है। इस संगठन ने मलाला यूसुफजई पर हमले की जिम्मेदारी ली थी। यह आतंकी सगंठन मासूम बच्चों को भी अपना निशाना बनाने से नहीं चूका। दरअसल, तहरीक-ए-तालिबान ने पाकिस्‍तान में अपनी जड़ें जमना उसी वक्त शुरू की थी, जब 2002 में अमेरिकी कार्रवाई के बाद अफगानिस्तान से भागकर कई आतंकी पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में छिपे थे। इन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई तो स्वात घाटी में पाकिस्तानी आर्मी की मुखालफत होने लगी। कबाइली इलाकों में कई विद्रोही गुट पनपने लगे।

पाकिस्तान ने 2008 में ब्लैकलिस्ट किया

आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान को पाकिस्तान ने 2008 में ब्लैकलिस्ट किया था। तहरीक-ए-तालिबान ने पिछले एक दशक में पाकिस्तान में कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है। इस आतंकवादी संगठन का सबसे बड़ा गढ़ खैबर पख्तूनख्वा है। यह पाक पीएम इमरान खान का गृह राज्य है। हाल में ही तहरीक-ए-तालिबान ने खैबर पख्तूनख्वा में चीन के इंजीनियरों की बस पर हमला कर 13 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इतना ही नहीं, इस हमले से एक दिन पहले इसी राज्य में पाकिस्तानी सेना पर हमला कर उनके एक कैप्टन और एक जवान की हत्या कर दी थी।

पाकिस्तान में घुसपैठ कर सकते हैं टीटीपी के आतंकी

इमरान खान को यह भय सता रहा है कि अगर अफगानिस्तान में हिंसा चरम पर पहुंचती है तो शरणार्थी की आड़ में टीटीपी समेत कई आतंकवादी संगठन के लड़ाके पाकिस्तान में घुसपैठ कर सकते हैं। इसी कारण पाकिस्तानी सेना ने अफगानिस्तान से लगी सीमा की चौकसी भी बढ़ा दी है। हालांकि, कम संसाधनों के कारण दोनों देशों के बीच कई ऐसे इलाके हैं, जहां निगरानी का बेहद अभाव है।

FacebooktwitterwpkooEmailaffiliates तालिबान के आगे गिड़गिड़ाया पाकिस्‍तान, तहरीक-ए-तालिबान से बचाने की लगाई गुहार, जानें इस आतंकी संगठन के बारे में तालिबान के आगे गिड़गिड़ाया पाकिस्‍तान, तहरीक-ए-तालिबान से बचाने की लगाई गुहार। Publish Date:Tue, 17 Aug 2021 06:41 PM (IST)Author: Ramesh Mishra अफगानिस्तान में तालिबान के स्थापित होते ही अब पाकिस्तान अपने यहां सक्रिय आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को लेकर चिंतित हो गया है। टीटीपी अब तक अफगानिस्तान में तालिबान की मदद कर रहा था। पाक ने कहा कि वे अफगानिस्तान की धरती को टीटीपी की गतिविधियों का ठिकाना न बनने दे। इस्लामाबाद, एजेंसी। अफगानिस्तान में तालिबान के स्थापित होते ही अब पाकिस्तान अपने यहां सक्रिय आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को लेकर चिंतित हो गया है। टीटीपी अब तक अफगानिस्तान में तालिबान की मदद कर रहा था। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शेख राशिद ने कहा कि तालिबान से इस संबंध में बात की गई है। उनसे कहा गया है कि वे अफगानिस्तान की धरती को टीटीपी की गतिविधियों का ठिकाना न बनने दे। टीटीपी कमांडर अफगानिस्तान की जेलों से रिहा उल्लेखनीय है कि हाल ही में टीटीपी के कमांडरों को अफगानिस्तान की जेलों से रिहा किया गया है। इनमें टीटीपी का पूर्व डिप्टी चीफ मौलाना फकीर मुहम्मद भी शामिल है। आतंकी संगठन टीटीपी और आइएस के आतंकी वर्तमान में अफगानिस्तान के नूरिस्तान और निगार में अपने ठिकाने बनाए हुए हैं। पूर्व में पाकिस्तान तालिबान और टीटीपी के डर की वजह से ही अमेरिका को सहयोग करता था। अब स्थितियां बदल गई हैं। Ads by Jagran.TV कौन है तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान में अब तक जितने भी आतंकवादी संगठन अस्तित्व में आए हैं, उनमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का सबसे खतरनाक आतंकी संगठन है। इस संगठन ने मलाला यूसुफजई पर हमले की जिम्मेदारी ली थी। यह आतंकी सगंठन मासूम बच्चों को भी अपना निशाना बनाने से नहीं चूका। दरअसल, तहरीक-ए-तालिबान ने पाकिस्‍तान में अपनी जड़ें जमना उसी वक्त शुरू की थी, जब 2002 में अमेरिकी कार्रवाई के बाद अफगानिस्तान से भागकर कई आतंकी पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में छिपे थे। इन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई तो स्वात घाटी में पाकिस्तानी आर्मी की मुखालफत होने लगी। कबाइली इलाकों में कई विद्रोही गुट पनपने लगे। पाकिस्तान में फिर से तोड़ी गई महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा, कट्टरपंथी समूह TLP से जुड़ा एक शख्स गिरफ्तार पाकिस्तान में फिर से तोड़ी गई महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा, कट्टरपंथी समूह TLP से जुड़ा एक शख्स गिरफ्तार यह भी पढ़ें पाकिस्तान ने 2008 में ब्लैकलिस्ट किया आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान को पाकिस्तान ने 2008 में ब्लैकलिस्ट किया था। तहरीक-ए-तालिबान ने पिछले एक दशक में पाकिस्तान में कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है। इस आतंकवादी संगठन का सबसे बड़ा गढ़ खैबर पख्तूनख्वा है। यह पाक पीएम इमरान खान का गृह राज्य है। हाल में ही तहरीक-ए-तालिबान ने खैबर पख्तूनख्वा में चीन के इंजीनियरों की बस पर हमला कर 13 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इतना ही नहीं, इस हमले से एक दिन पहले इसी राज्य में पाकिस्तानी सेना पर हमला कर उनके एक कैप्टन और एक जवान की हत्या कर दी थी। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद कैसी होगी महिलाओं की स्थिति, मलाला यूसुफजई ने जताई चिंता अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद कैसी होगी महिलाओं की स्थिति, मलाला यूसुफजई ने जताई चिंता यह भी पढ़ें पाकिस्तान में घुसपैठ कर सकते हैं टीटीपी के आतंकी इमरान खान को यह भय सता रहा है कि अगर अफगानिस्तान में हिंसा चरम पर पहुंचती है तो शरणार्थी की आड़ में टीटीपी समेत कई आतंकवादी संगठन के लड़ाके पाकिस्तान में घुसपैठ कर सकते हैं। इसी कारण पाकिस्तानी सेना ने अफगानिस्तान से लगी सीमा की चौकसी भी बढ़ा दी है। हालांकि, कम संसाधनों के कारण दोनों देशों के बीच कई ऐसे इलाके हैं, जहां निगरानी का बेहद अभाव है। Edited By: Ramesh Mishra # world# pakistan# काबुल पर तालिबान का कब्जा# अफगानिस्तान में नई सरकार# अफगानिस्तान में तालिबान# तहरीक-ए-तालिबान# अफगानिस्‍तान में आतंकी सगंठन# तालिबान और पाकिस्‍तान# तहरीक ए तालिबान और पाक# तालिबान पाकिस्तान संबंध# पाकिस्तान इमरान खान# taliban captures kabul# new government in afghanistan# Taliban was established in Afghanistan# terrorist organization in afghanistan# Tehreek-e-Taliban Pakistan# HPJagranSpecial# tehreek e taliban# pakistan News# tehreek e taliban# pakistan attacks taliban# pakistan relations tali# News# International News# Pakistan Recommended Coding Classes For Age 6-18 by IIT/ Harvard Team Coding Classes For Age 6-18 by IIT/ Harvard Team campk12.com Book Now Learn from math experts with Cuemath Learn from math experts with Cuemath Sign Up cuemath.com Join the league of top investment management professionals. 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JLL Learn More Recommended by ज्यादा पठिततालिबान के कब्‍जे के बाद अफगानिस्‍तान संकट गहराया 6 HOURS AGO अफगानिस्‍तान Updates: तालिबान की तरफ से आए बयानों का तुर्की ने किया समर्थन, कहा अच्‍छा संकेत सीएम योगी आदित्यनाथ को जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का प्रारूप सौंपा गया। 12 HOURS AGO UP Population Control Bill: उत्तर प्रदेश में एक बच्चे वाले सीमित परिवार को मिलेंगी अतिरिक्त सुविधाएं कप्तान कोहली साथी खिलाड़ियों के साथ जश्न मनाते हुए (एपी फोटो) 12 HOURS AGO Ind vs Eng 2nd Test: भारत ने 151 रन से जीता लार्ड्स टेस्ट, सीरीज में बनाई 1-0 की बढ़त multiple credit cards what are its advantages and disadvantages. 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तालिबान के आगे गिड़गिड़ाया पाकिस्‍तान, तहरीक-ए-तालिबान से बचाने की लगाई गुहार।
Publish Date:Tue, 17 Aug 2021 06:41 PM (IST)Author: Ramesh Mishra

अफगानिस्तान में तालिबान के स्थापित होते ही अब पाकिस्तान अपने यहां सक्रिय आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को लेकर चिंतित हो गया है। टीटीपी अब तक अफगानिस्तान में तालिबान की मदद कर रहा था। पाक ने कहा कि वे अफगानिस्तान की धरती को टीटीपी की गतिविधियों का ठिकाना न बनने दे।

इस्लामाबाद, एजेंसी। अफगानिस्तान में तालिबान के स्थापित होते ही अब पाकिस्तान अपने यहां सक्रिय आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को लेकर चिंतित हो गया है। टीटीपी अब तक अफगानिस्तान में तालिबान की मदद कर रहा था। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शेख राशिद ने कहा कि तालिबान से इस संबंध में बात की गई है। उनसे कहा गया है कि वे अफगानिस्तान की धरती को टीटीपी की गतिविधियों का ठिकाना न बनने दे।

टीटीपी कमांडर अफगानिस्तान की जेलों से रिहा

उल्लेखनीय है कि हाल ही में टीटीपी के कमांडरों को अफगानिस्तान की जेलों से रिहा किया गया है। इनमें टीटीपी का पूर्व डिप्टी चीफ मौलाना फकीर मुहम्मद भी शामिल है। आतंकी संगठन टीटीपी और आइएस के आतंकी वर्तमान में अफगानिस्तान के नूरिस्तान और निगार में अपने ठिकाने बनाए हुए हैं। पूर्व में पाकिस्तान तालिबान और टीटीपी के डर की वजह से ही अमेरिका को सहयोग करता था। अब स्थितियां बदल गई हैं।

कौन है तहरीक-ए-तालिबान

पाकिस्तान में अब तक जितने भी आतंकवादी संगठन अस्तित्व में आए हैं, उनमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का सबसे खतरनाक आतंकी संगठन है। इस संगठन ने मलाला यूसुफजई पर हमले की जिम्मेदारी ली थी। यह आतंकी सगंठन मासूम बच्चों को भी अपना निशाना बनाने से नहीं चूका। दरअसल, तहरीक-ए-तालिबान ने पाकिस्‍तान में अपनी जड़ें जमना उसी वक्त शुरू की थी, जब 2002 में अमेरिकी कार्रवाई के बाद अफगानिस्तान से भागकर कई आतंकी पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में छिपे थे। इन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई तो स्वात घाटी में पाकिस्तानी आर्मी की मुखालफत होने लगी। कबाइली इलाकों में कई विद्रोही गुट पनपने लगे।

पाकिस्तान ने 2008 में ब्लैकलिस्ट किया

आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान को पाकिस्तान ने 2008 में ब्लैकलिस्ट किया था। तहरीक-ए-तालिबान ने पिछले एक दशक में पाकिस्तान में कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है। इस आतंकवादी संगठन का सबसे बड़ा गढ़ खैबर पख्तूनख्वा है। यह पाक पीएम इमरान खान का गृह राज्य है। हाल में ही तहरीक-ए-तालिबान ने खैबर पख्तूनख्वा में चीन के इंजीनियरों की बस पर हमला कर 13 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इतना ही नहीं, इस हमले से एक दिन पहले इसी राज्य में पाकिस्तानी सेना पर हमला कर उनके एक कैप्टन और एक जवान की हत्या कर दी थी।

पाकिस्तान में घुसपैठ कर सकते हैं टीटीपी के आतंकी

इमरान खान को यह भय सता रहा है कि अगर अफगानिस्तान में हिंसा चरम पर पहुंचती है तो शरणार्थी की आड़ में टीटीपी समेत कई आतंकवादी संगठन के लड़ाके पाकिस्तान में घुसपैठ कर सकते हैं। इसी कारण पाकिस्तानी सेना ने अफगानिस्तान से लगी सीमा की चौकसी भी बढ़ा दी है। हालांकि, कम संसाधनों के कारण दोनों देशों के बीच कई ऐसे इलाके हैं, जहां निगरानी का बेहद अभाव है।

गुरुवार, 12 अगस्त 2021

मज़हब और जाति के घेरे ,घेरे मेरी संसद को

 मज़हब और  जाति के घेरे ,घेरे मेरी संसद को ,

 रहने दो संसद को संसद ,तोड़ो घेरा बंदी को। 

आसंदी का मान करो ,संसद का सम्मान करो ,

टेबिल पे चढ़के तुम भैया मत इतना अभिमान करो.

मत फैंकों कागज़ के टुकड़े सभापति के आसन पर ,

मत तोड़ो दरवाज़ों को ,दीवारों का ध्यान करो ,

वीडिओज़  का नित करते  खेला ,

भीड़ युवा का ध्यान धरो, संसद का सम्मान करो। 

मार्शल रखते ध्यान तुम्हारा ,तुम भी तो कुछ ध्यान धरो ,

मदमाया पद आनीजानी ,कहते सारे ग्यानी ,

कहलाते तुमभी तो ग्यानी ,अपना ही कुछ ध्यान धरो। 


मंगलवार, 10 अगस्त 2021

कहीं सूखा, कहीं बाढ़, चक्रवात और लू...तबाही से बचने का अब रास्ता नहीं? जानें, क्या कहती है IPCC रिपोर्ट

 

कहीं सूखा, कहीं बाढ़, चक्रवात और लू...तबाही से बचने का अब रास्ता नहीं? जानें, क्या कहती है IPCC रिपोर्ट

Curated byNavbharat TimesUpdated: 9 Aug 2021, 5:50 pm
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संयुक्त राष्ट्र के Intergovernmental Panel for Climate Change की रिपोर्ट सोमवार को जारी की गई। इसमें इंसानों को जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार बताया गया है। जानें, रिपोर्ट की अहम बातें-

 
key points about climate change that you need to know about the ipcc report
कहीं सूखा, कहीं बाढ़, चक्रवात और लू...तबाही से बचने का अब रास्ता नहीं? जानें, क्या कहती है IPCC रिपोर्ट
जलवायु परिवर्तन से धरती पर मंडरा रहा खतरा और भी ज्यादा विनाशकारी होने वाला है। यह बात साफ हो गई है संयुक्त राष्ट्र के इंटरगवर्नमेंटल पैनल फॉर क्लाइमेट चेंज (IPCC) की एक नई रिपोर्ट से। इससे पहले करीब आठ साल पहले IPCC की रिपोर्ट ने जलवायु परिवर्तन के वैश्विक संकट स दुनिया को आगाह किया था लेकिन दूसरी रिपोर्ट का पहला हिस्सा सोमवार को सामने आने के बाद जाहिर हो गया है कि त्रासदी सामने खड़ी दिख रही है लेकिन इंसान ने सीख नहीं ली है बल्कि हालात बदतर ही हुए हैं। एक नजर डालते हैं इस रिपोर्ट की कुछ अहम बातों पर-

इंसानों ने बिगाड़े हालात

रिपोर्ट कहती है कि औद्योगिक काल के पहले के समय से हुई लगभग पूरी तापमान वृद्धि कार्बन डाई ऑक्साइड और मीथेन जैसी गर्मी को सोखने वाली गैसों के उत्सर्जन से हुई। इसमें से अधिकतर इंसानों के कोयला, तेल, लकड़ी और प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन जलाए जाने के कारण हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि 19वीं सदी से दर्ज किए जा रहे तापमान में हुई वृद्धि में प्राकृतिक वजहों का योगदान बहुत ही थोड़ा है। गौर करने वाली बात यह है कि पिछली रिपोर्ट में इंसानी गतिविधियों के इसके पीछे जिम्मेदार होने की ‘संभावना’ जताई गई थी जबकि इस बार इसे ही सबसे बड़ा कारण माना गया है।

पेरिस समझौते का असर नहीं?

करीब 200 देशों ने 2015 के ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य वैश्विक तापमान वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस (3.6 डिग्री फारेनहाइट) से कम रखना है और वह पूर्व औद्योगिक समय की तुलना में सदी के अंत तक 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 फारेनहाइट) से अधिक नहीं हो।

रिपोर्ट के 200 से ज्यादा लेखक पांच परिदृश्यों को देखते हैं और यह रिपोर्ट कहती है कि किसी भी सूरत में दुनिया 2030 के दशक में 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान के आंकड़े को पार कर लेगी जो पुराने पूर्वानुमानों से काफी पहले है। उन परिदृश्यों में से तीन परिदृश्यों में पूर्व औद्योगिक समय के औसत तापमान से दो डिग्री सेल्सियस से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की जाएगी।

हमेशा के लिए बदल जाएगी धरती..

रिपोर्ट 3000 पन्नों से ज्यादा की है और इसे 234 वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। इसमें कहा गया है कि तापमान से समुद्र स्तर बढ़ रहा है, बर्फ का दायरा सिकुड़ रहा है और प्रचंड लू, सूखा, बाढ़ और तूफान की घटनाएं बढ़ रही हैं। ऊष्णकटिबंधीय चक्रवात और मजबूत और बारिश वाले हो रहे हैं जबकि आर्कटिक समुद्र में गर्मियों में बर्फ पिघल रही है और इस क्षेत्र में हमेशा जमी रहने वाली बर्फ का दायरा घट रहा है। यह सभी चीजें और खराब होती जाएंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इंसानों द्वारा वायुमंडल में उत्सर्जित की जा चुकी हरित गैसों के कारण तापमान ‘लॉक्ड इन’ (निर्धारित) हो चुका है। इसका मतलब है कि अगर उत्सर्जन में नाटकीय रूप से कमी आ भी जाती है, कुछ बदलावों को सदियों तक ‘पलटा’ नहीं जा सकेगा।

कुछ बेहतर हुआ?

इस रिपोर्ट के कई पूर्वानुमान ग्रह पर इंसानों के प्रभाव और आगे आने वाले परिणाम को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त कर रहे हैं लेकिन आईपीसीसी को कुछ हौसला बढ़ाने वाले संकेत भी मिले हैं, जैसे - विनाशकारी बर्फ की चादर के ढहने और समुद्र के बहाव में अचानक कमी जैसी घटनाओं की कम संभावना है हालांकि इन्हें पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता। आईपीसीसी सरकार और संगठनों द्वारा स्वतंत्र विशेषज्ञों की समिति जलवायु परिवर्तन पर श्रेष्ठ संभव वैज्ञानिक सहमति प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई है। ये वैज्ञानिक वैश्विक तापमान में वृद्धि से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर समय-समय पर रिपोर्ट देते रहते हैं जो आगे की दिशा निर्धारित करने में अहम होती है।

दुनिया के 3 अरब लोगों का 'जीवन' महासागर, ले डूबेंगे मुंबई?

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