मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

वोट के द्वारा बदला लो प्रजातंत्र की यही रवायत यही है शोभा वीरुभाई

 

Bengal Chunav: ममता बनर्जी और सीपीएम के उस 'षड्यंत्र' को अबतक नहीं भूले लालू आलम! बोले- बदला जरूर लूंगा चाहे...

बंगाल विधानसभा चुनाव के बीच ममता बनर्जी हिंदू मतदाताओं को भी साधने के लिए कवायद करती हुई नजर आईं। लालू आलम जिन पर ममता बनर्जी पर हमले का आरोप लगा था, उन्होंने 1990 के एक किस्से का जिक्र किया है।

Bengal Chunav: 'मैं मुसलमान था, ममता को हिंदुओं की जरूरत थी...मुझे बर्बाद कर दिया गया', लालू आलम की कहानी
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हिमांशु तिवारी/विश्व गौरव, कोलकाता
साल 1990, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee Latest News) कांग्रेस को मजबूत करने में जुटी हुई थीं। साउथ कोलकाता स्थित हाजरा में ममता बनर्जी युवा कांग्रेस (Lalu Alam Case) के एक आंदोलन का नेतृत्व करने वाली थीं। उधर, सीपीएम की यूथ विंग डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) के सदस्यों की अलग-अलग क्षेत्रों में ड्यूटी लगाई गई थी। इसी बीच ममता बनर्जी पर हमले की खबर सामने आई। वह सड़क पर गिर गईं। ममता पर हमले का आरोप उस वक्त सीपीएम की यूथ विंग के सचिव रहे लालू आलम पर लगा था।


29 साल बाद लालू आलम को ममता पर हमले के आरोपों से बरी कर दिया गया। लालू आलम आज भी उस किस्से को याद करते हैं। एनबीटी ऑनलाइन ने लालू आलम से बात की।

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ममता पर हमले की ख़बर आग की तरह फैल गई थी

ममता पर हमले की ख़बर आग की तरह फैल गई थी


'...और हमें घेर लिया गया'
लालू आलम कहते हैं, 'ममता बनर्जी को उस वक्त हिंदू वोटबैंक की जरूरत थी। मैं मुसलमान था। मुझे आरोपी बना दिया। ड्रामा किया गया और मुझे जेल भेज दिया गया। मैं उस वक्त सीपीएम में था। कांग्रेस ने एक स्ट्राइक का आह्वान किया था। सीपीएम की ओर से अलग-अलग हिस्सों में हमारी ड्यूटी लगाई गई थी। ये लोग हंगामा कर रहे थे। हम सभी लोगों ने इन्हें रोका। इस बीच हाजरा मोड़ के पास वह बेहोश हो गई थीं। मैं बालीगंज में था। उन्हें पता था कि मैं अपने क्षेत्र में बहुत मजबूत हूं। वह यह भी जानती थी कि अगर बादशाह आलम (लालू आलम के भाई) को कमजोर नहीं किया गया तो उन्हें जीत दर्ज करने में मुश्किल पैदा होगी। सीपीएम के कुछ लोगों को साथ लेकर उन्होंने हमें घेर लिया।'

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बादशाह आलम के रसूख के चलते लालू आलम सीपीएम से जुड़ गए थे। लालू 1980 के अंत तक कांग्रेस में भी रहे।

लालू आलम कहते हैं कि आरोपी बनाने के लिए मेरी फोटो से छेड़छाड़ की गई थी

लालू आलम कहते हैं कि आरोपी बनाने के लिए मेरी फोटो से छेड़छाड़ की गई थी


'मुझे बेल नहीं मिल पा रही थी क्योंकि...'
लालू कहते हैं, 'रात तकरीबन 2 बज रहे थे। उस वक्त हम फुल पॉवर में थे। पुलिस हमारे सपॉर्ट में थी। फिर भी मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। सीपीएम में यह प्लान बन चुका था कि अगर ममता बनर्जी खड़ी होती हैं तो कांग्रेस टूट जाएगी। हमें बलि का बकरा बना दिया गया। 29 साल बाद मुझे आरोपों से बरी किया गया। 6 महीने तक मुझे जेल में रखा गया। जब मुझे बाहर निकलना होता तो वह अस्पताल पहुंच जाती थीं। इस वजह से मुझे बेल नहीं मिल पा रही थी।'


मैं भवानीपुर, बालीगंज क्षेत्र में पॉपुलर था। युवा मेरे साथ थे। उस वक्त हमारा संगठन बहुत मजबूत हुआ करता था। बादशाह आलम साउथ कोलकाता से चुनाव में उतरने वाले थे। रविंद्र देब नहीं चाहते थे कि बादशाह आलम चुनाव में उतरे। ममता बनर्जी भी यही चाहती थीं।
लालू आलम

'थानों में भी उनकी ही सुनी जाती थी'
लालू आलम ने कहा, 'उस वक्त हमारे पास एक रेस्ट्रॉन्ट था। एक फोटोकॉपी की दुकान भी थी। फोटोकॉपी वाली दुकान हमसे छीन ली गई थी। यह दुकान बेग बगान में थी। रेस्ट्रॉन्ट में तो तोड़फोड़ की गई थी। 3 साल बाद वे लोग यह नहीं चाहते थे कि मैं किसी दल में शामिल हो पाऊं। वे लोग हमें डराते थे। थाने में भी मुझे बोला गया कि यह सब राजनीतिक बातें हैं, आपस में इन चीजों को सॉल्व कर लो। जब हमने हकीकत समझ ली तो बादशाह आलम ने सीपीएम का दामन छोड़ दिया। दुकान में जो तोड़फोड़ की उस मामले में केस चल रहा है। फिर मुझ पर केस कर दिया गया। थानों में उनकी बात सुनी जाती थी।'


लालू आलम कहते हैं कि उन्हें सीपीएम और ममता ने फंसाया था

लालू आलम कहते हैं कि उन्हें सीपीएम और ममता ने फंसाया था


'मैं उनसे बदला तो जरूर लूंगा'
लालू कहते हैं, 'मैं अब बीजेपी में हूं। बालीगंज मंडल-3 का मैं उपाध्यक्ष हूं। मैं बदला तो जरूर लूंगा भले ही मैं कितना भी बूढ़ा हो जाऊं। मैं भारतीय जनता पार्टी का अब फुल सपॉर्ट कर रहा हूं। बादशाह आलम को उम्मीदवार नहीं बनाया गया तो वह हाल ही में नाराज हो गए। मैंने उन्हें समझाया कि यह नाराजगी ठीक नहीं क्योंकि तुम्हारी उम्र हो चुकी है। अब उनकी भी नाराजगी खत्म हो चुकी है। 29 वर्षों तक केस चलने के बाद मैं आरोपों से बरी हुआ।'



लालू आलम बोले- मैं बदला तो जरूर लूंगा
लालू आलम बोले- मैं बदला तो जरूर लूंगा
वोट के द्वारा वादला लो. कौन रोकता है.
Manoj Manoj
वोट के द्वारा बदला लो प्रजातंत्र की यही रवायत यही है शोभा 
वीरुभाई 

शनिवार, 27 मार्च 2021

तुम्हारी एक फोड़े उसकी फोड़ दो दोनों आँख। आँख के बदले आँख और दांत के बदले दांत से काम नहीं चलेगा यहां। क्योंकि : (१) निकिता हत्या काण्ड एक साधारण अपराध नहीं था -चोरी और सीना जोरी थी ,कल को ऐसे बिगड़ैल नवाब जादों का किसी ब्याहता पे भी दिल आ सकता है ,सामाजिक ताना बाना छिन्न भिन्न होता है इस प्रकार की ज़बरिया हरकतों से। आबादी दहशत में आ जाती है।

 तुम्हारी एक फोड़े उसकी फोड़ दो दोनों आँख। आँख के बदले आँख और दांत के बदले दांत से काम नहीं चलेगा यहां। क्योंकि :

(१) निकिता हत्या काण्ड एक साधारण अपराध नहीं था -चोरी और सीना जोरी थी ,कल को ऐसे बिगड़ैल नवाब जादों  का किसी  ब्याहता पे भी दिल आ सकता है ,सामाजिक ताना बाना छिन्न भिन्न होता है इस प्रकार की ज़बरिया हरकतों से।  आबादी दहशत में आ जाती है। 

(२ )किसी देश के नागर बोध का आइना वहां महिलाओं के प्रति निगाह से जुड़ा है। जहां महिलाओं का सम्मान नहीं वह देश दरिंदों का एक भौगोलिक क्षेत्र मात्र है राष्ट्र राज्य की संज्ञा देना इसे बे -मानी होगा। 

(३ )कथित प्रेमी की हरकतों को जब शह नहीं मिलती तब वह कभी तेज़ाब फेंक देता है अपने कथित प्रेमिका  के चेहरे पर कभी किसी और प्रकार से प्रतिशोध लेता है ,जबकि प्रेम प्रतिशोध नहीं आत्मबलिदान चाहता है। 

प्रेम न बाड़ी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय।

राजा परजा सो रुच, शीश देय ले जाय।।

भावसार :कबीर साहेब ने कभी भी पांडित्य प्रदर्शन नहीं किया और ना ही लोगों को शब्दों की जादूगिरी से प्रभावित करने की कोशिश की, गूढ़ रहस्यों को उन्होंने बड़े ही सरल शब्दों में लोगों के समक्ष रखने में उनकी प्रतिभा विलक्षण रही। 'प्रेम' को हम प्रयत्न करके,मेहनत करके पैदा नहीं कर सकते हैं और ना ही हम प्रेम को बाजार से मूल्य चूका कर खरीद सकते हैं। प्रेम राजा और प्रजा सभी के लिए समान है, इसकी कीमत है 'शीश देय' , अहम और स्वंय के होने का एहसास को समाप्त करना। जब तक 'मैं' है प्रेम नहीं है। यह साहेब के द्वारा दिया गया 'बीज' है जिसकी जितनी व्याख्या की जाय कम है। प्रेम सांसारिक और भौतिक वस्तु नहीं है जिसे हम उपजा ले, किसी से खरीद लें, उधार ले लें। यह तो एहसास की बात है।

ज़ाहिर है प्रेम आत्मोसर्ग चाहता है। 

जे सुलगे ते बुझि गये बुझे तो सुलगे  नाहिं 
रहिमन दाहे प्रेम के बुझि बुझि के सुल गाहिं ।
सामान्यतः आग सुलग कर बुझ जाती है और बुझने पर फिर सुलगती नहीं है ।प्रेम 
की अग्नि बुझ जानेके बाद पुनः सुलग जाती है। भक्त इसी आग में सुलगते हैं ।
रहिमन खोजे ईख में जहाॅ रसनि की खानि
जहां गांठ तहं रस नही यही प्रीति में हानि।
इख रस की खान होती है पर उसमें जहाॅ गाॅठ होती है वहाॅ रस नहीं होता है।

यही बात प्रेम में है। प्रेम मीठा रसपूर्ण होता है पर प्रेम में छल का गाॅठ रहने पर वह प्रेम नहीं रहता है। 

आगि आंचि सहना सुगम, सुगम खडग की धार
नेह निबाहन एक  रस, महा कठिन ब्यबहार।
अग्नि का ताप और तलवार की धार सहना आसान है
किंतु प्रेम का निरंतर समान रुप से निर्वाह अत्यंत कठिन कार्य है।
प्रेम पंथ मे पग धरै, देत ना शीश डराय
सपने मोह ब्यापे नही, ताको जनम नसाय।
प्रेम के राह में पैर रखने वाले को अपने सिर कटने का डर नहीं होता।
उसे स्वप्न में भी भ्रम नहीं होता और उसके पुनर्जन्म का अंत हो जाता है।
प्रेम पियाला सो पिये शीश दक्षिना देय
लोभी शीश ना दे सके, नाम प्रेम का लेय।
प्रेम का प्याला केवल वही पी सकता है जो अपने सिर का वलिदान करने को तत्पर हो।
एक लोभी-लालची अपने सिर का वलिदान कभी नहीं दे सकता भले वह कितना भी प्रेम-प्रेम चिल्लाता हो।
प्रेम ना बारी उपजै प्रेम ना हाट बिकाय
राजा प्रजा जेहि रुचै,शीश देयी ले जाय।
प्रेम ना तो खेत में पैदा होता है और न हीं बाजार में विकता है।
राजा या प्रजा जो भी प्रेम का इच्छुक हो वह अपने सिर का यानि सर्वस्व त्याग कर प्रेम
प्राप्त कर सकता है। सिर का अर्थ गर्व या घमंड का त्याग प्रेम के लिये आवश्यक है।
प्रेम जगत का सार है ,प्रेम जगत आधार ,
हरि भी होते प्रेम से निराकार साकार।
विशेष :ठसकदार परिवारों की ठसक निकलनी चाहिए जिनकी दूषित परवरिश ने बिगड़ैल नवाब पैदा किये हैं। वह माहौल बराबर का कुसूरवार है जिसने किशोर -किशोरियों को सड़क पे बिना लाइसेन्स के एसयूवी दौड़ाने की छूट दी है ,रोड रेज का हौसला दिया है,ज़बरिया प्रेम सिखलाया है न कहो इसे लव जिहाद न सही। जिहाद तो अपनी बुराइयों के साथ होता है अंतश्चेतना का विषय है। वह देसी तमंचा मुहैया करवाने वाला नवाब कैसे बच गया जिसका तमंचा ऐसे करतब करवाता है ,हर चीज़ का सु-बूत नहीं होता ,परिस्थिति जन्य साक्ष्य भी बोलते हैं। शब्द प्रमाण सबसे बड़ा सनातनी प्रमाण है। 
https://www.youtube.com/watch?v=HKuINNJDys4

sab pyaar ki baaten karte hain.. Matlabi Duniya1961_Mukesh_ Ramesh Gupta_Jayanti Joshi..a

 

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

सीता रावण राम का, करें विभाजन लोग एक ही तन में देखिये, तीनो का संजोग

Dohe Nida Fazli

दोहे निदा फ़ाज़ली

अच्छी संगत बैठ कर, संगी बदले रूप
जैसे मिल कर आम से, मीठी हो गई धूप

अन्दर मूरत पर चढ़े घी, पूरी, मिष्टान
मंदिर के बाहर खड़ा, ईश्वर माँगे दान

आएगा पहचान में ख़ूनी हो या ख़ून
अभी हमारे देस में ज़िंदा है क़ानून

आँगन–आँगन बेटियाँ, छाँटी–बाँटी जाएँ
जैसे बालें गेहूँ की, पके तो काटी जाएँ

ईसा, अल्लाह, ईश्वर, सारे मंतर सीख
जाने कब किस नाम से मिले ज्यादा भीख

उस जैसा तो दूसरा मिलना था दुश्वार
लेकिन उस की खोज में फैल गया संसार

ऊपर से गुड़िया हँसे, अंदर पोलमपोल
गुड़िया से है प्यार तो, टाँकों को मत खोल

घर को खोजे रात–दिन, घर से निकले पाँव
वो रस्ता ही खो गया, जिस रस्ते था गाँव

चाहे गीता बांचिये, या पढिये कुरान
मेरा तेरा प्यार ही हर पुस्तक का ज्ञान

चिड़िया ने उड़ कर कहा मेरा है आकाश
बोला शिकरा डाल से यूँही होता काश

चिड़ियों को चहकाकर दे, गीतों को दे बोल
सूरज बिन आकाश है, गोरी घूँघट खोल

चीखे घर के द्वार की लकड़ी हर बरसात
कटकर भी मरते नहीं, पेड़ों में दिन-रात

छोटा कर के देखिए जीवन का विस्तार
आंखों भर आकाश है, बाहों भर संसार

जादू टोना रोज का, बच्चों का व्यवहार
छोटी सी एक गेंद में, भर दें सब संसार

जीवन के दिन रैन का, कैसे लगे हिसाब
दीमक के घर बैठ कर, लेखक लिखे किताब

जीवन भर भटका किये, खली न मन की गाँठ
उसका रास्ता छोड़कर, देखी उसकी बात

झूठी सारी सरहदें धोखा हर तक़्सीम
दिल्ली से लाहौर तक कड़वे सारे नीम

दर्पण में आंखें बनीं, दीवारों में कान
चूड़ी में बजने लगी, अधरों की मुस्कान

नक़्शा ले कर हाथ में बच्चा है हैरान
कैसे दीमक खा गई उस का हिन्दोस्तान

नदिया सींचे खेत को, तोता कुतरे आम
सूरज ठेकेदार सा, सब को बांटे काम

नैनों में था रास्ता हृदय में था गाँव
हुई न पूरी यात्रा छलनी हो गए पाँव

पंछी मानव, फूल, जल, अलग-अलग आकार
माटी का घर एक ही, सारे रिश्तेदार

पूजा घर में मुर्ति मीरा के संग श्याम,
जिसकी जितनी चाकरी, उतने उसके दाम

बच्चा बोला देख कर मस्जिद आली-शान
अल्लाह तेरे एक को इतना बड़ा मकान

बरखा सब को दान दे, जिसकी जितनी प्यास
मोती सीये सीप में, माटी में घास

बाहर झाड़ू हाथ में भीतर उगे बबूल
उसको भी तो साफ़ कर अंदर है जो धूल

बूढ़ा पीपल घाट का, बतियाए दिन-रात
जो भी गुजरे पास से, सिर पे रख दे हाथ

माटी से माटी मिले, खो कर सभी निशान
किस में कितना कौन है, कैसे हो पहचान

मुझ जैसा इक आदमी मेरा ही हमनाम
उल्टा सीधा वो चले मुझे करे बद-नाम

मैं क्या जानूँ तू बता, तू है मेरा कौन
मेरे मन की बात को, बोले तेरा मौन

मैं था अपने खेत में, तुझको भी था काम
तेरी मेरी भूल का, राजा पड़ गया नाम

मैं भी तू भी यात्री चलती रुकती रेल
अपने अपने गाँव तक सब का सब से मेल

मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार
दुख ने दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार

युग-युग से हर बाग का, ये ही एक उसूल
जिसको हंसना आ गया वो ही मट्टी फूल

यों ही होता है सदा, हर चूनर के संग
पंछी बनकर धूप में, उड़ जाते हैं रंग

रास्ते को भी दोष दे, आँखें भी कर लाल
चप्पल में जो कील है, पहले उसे निकाल

लेके तन के नाप को, घूमे बस्ती गाँव
हर चादर के घेर से, बाहर निकले पाँव

वो सूफ़ी का क़ौल हो या पंडित का ज्ञान
जितनी बीते आप पर उतना ही सच मान

सपना झरना नींद का जागी आँखें प्यास
पाना, खोना, खोजना, सांसों का इतिहास

सब की पूजा एक सी अलग अलग हर रीत
मस्जिद जाए मौलवी कोयल गाए गीत

स्टेशन पर ख़त्म की भारत तेरी खोज
नेहरू ने लिखा नहीं कुली के सर का बोझ

सात समंदर पार से, कोई करे व्यापार
पहले भेजे सरहदें, फिर भेजें हथियार

सातों दिन भगवान के, क्या मंगल क्या पीर
जिस दिन सोए देर तक, भूखा रहे फकीर

“सा” से “नी” तक सात सुर, सात सुरों का राग
उतना ही संगीत तुझमें, जितनी तुझमें आग

सीता रावण राम का, करें विभाजन लोग
एक ही तन में देखिये, तीनो का संजोग

सीधा सादा डाकिया जादू करे महान
एक ही थैले में भरे आंसू और मुस्कान

सुना है अपने गांव में, रहा न अब वह नीम
जिसके आगे मांद थे, सारे वैद्य-हकीम

 

गुरुवार, 3 सितंबर 2020

माला के १०८ मानकों का रहस्य

https://blog.scientificworld.in/2020/09/sun-and-earth-diameter-of-sun-is-108.html#more

White Name of Allah Islamic 99 Prayer Beads Muslim Rosary Tasbih Misbaha


अल्लाह के ९९ नाम है ,तसबीह में सौंवा 'मनका' स्वयं अल्लाह यानी गिनती का पूरक है। हर 'मनके' पर अल्लाह या मुहम्मद अंकित होता है ,सौंवां मनका सफ़ेद भी हो सकता है ,शेष श्याम (काले ). सिमरन सार्वदेशिक सार्वकालिक सार्वधार्मिक कर्म है। 


https://www.amarujala.com/channels/downloads?tm_source=text_share



माला के १०८ मानकों का रहस्य 

माला के १०८ मनके धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण माने जाते है। जप ,बिना माला के भी किया जा सकता है ,लेकिन माला से जप करने का अलग ही महत्व है। सवाल यह है कि मनके १०८ ही क्यों होते हैं कम या ज्यादा क्यों नहीं ?इसके वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों ही कारण हैं। माना जाता है ,निर्दिष्ट  संख्या से कम या अधिक होने पर जप निष्फल हो जाता है। 

ऋषि अंगिरा ने व्यवस्था दी है ,बिना कुश के धर्म -अनुष्ठान ,बिना जल स्पर्श के दान और बिना संख्या के जप ,ये सब निष्फल होते है। माला से निश्चित संख्या में जप होते हैं। इससे निश्चित समय तक साधना का नियम भी सधता है। माला के प्रभाव से साधना सुचारु रूप से चलती रहती है। कहा तो यह भी गया है ,माला के कारण अंगूठे और ऊँगली सतत में संघर्ष रहता है जिससे अनूठी विद्यत तरंग उत्पन्न होती है,जो हृदय चक्र को प्रभावित कर मन की एकाग्रता को साधती है। 

भारतीय ज्योतिष  विज्ञान ने पूरे आकाश में २७ नक्षत्रों को मान्यता दी है। प्रत्येक नक्षत्र के चार -चार चरण होते हैं ,इस तरह २७ को चार से गुना करने पर (२७ x ४ )अंक संख्या  आती  है १०८।  

एक माला का हर मनका  नक्षत्र सहित उसके चरण का प्रतिनिधित्व करता है। सुमेरु ,माला के आदि और अंत का  निर्धारण करता है। वह विशुद्ध ब्रह्म का प्रतिनिधित्व करता है। इस तरह  माला के १०८ मनके ब्रह्माण्ड और उसके रचनाकार ब्रह्म के रहस्यों को समाहित किये हुए हैं। 
         
                 (ज्ञान गंगा )-माला के १०८ मनकों का रहस्य ( अमर उजाला ,३ सितंबर २०२० ,पृष्ठ ९ )

राम नाम सिमरन सिमरनि के बिना मन-मन  में भी हो सकता है सिमरन ही जप है गुरुग्रंथ साहब का सार है :नाम सिमरन 

कलजुग केवन नाम अधारा ,
 सिमर सिमर उतरे भव पारा  . (मानस )

कलयुग कीर्तन ही परधाना ,
गुरमुख जप ले ल्याए ध्याना। (आदि श्री गुरुग्रन्थ साहब )

अंत को पाया यही परनाम ,
राम से बड़ा राम का नाम। 

It’s good to note that you don’t have to be religious to wear or use a mala. It is important though to understand its use and respect its significance. The beads in a traditional mala are rudraksha seeds, produced by several species of large evergreen trees associated with the Hindu deity Shiva. In the yogic tradition the beads are used in japamala practice to recite mantras in meditation (hence the name). A full cycle of 108 repetitions is counted on the mala so the practitioner can focus on the sounds, vibration and meaning of what is being said. A simple and common example of a Sanskrit mantra often chanted at the end of a yoga class would be: om shanti shanti shanti which is a calling out to connect us with inner peace.


The 109th bead that hangs at the bottom of a mala is called either the sumeru, bindu, stupa or guru bead (which often symbolizes the guru from who the student received the mala or mantra, paying homage to the student-guru relationship). It is never counted among the repetitions but used as a marker for as a start and end for a cycle.

So why 108 repetitions? This is a question with hundreds of answers. The number 108 has limitless meanings across various philosophical, scientific and religious beliefs. Some of the most interesting are:

१०८ =१ +० +८ =९ ,नौ पूर्णाक है ,शुभ है। १०८ नौ से विभाज्य है इसलिये आनंद का सूचक है। 



Sanskrit alphabet: There are 54 letters in the Sanskrit alphabet. Each has masculine and feminine, Shiva and Shakti. So, 54 times 2 is 108.
Heart Chakra: The chakras are the intersections of energy lines, and there are said to be a total of 108 energy lines converging to form the heart chakra. One of them, sushumna leads to the crown chakra, and is said to be the path to Self-realization.
Sun and Earth: The diameter of the Sun is 108 times the diameter of the Earth. The distance from the Sun to the Earth is 108 times the diameter of the Sun.
Moon and Earth: The average distance of the Moon from the Earth is 108 times the diameter of the Moon.
Planets and Houses: In astrology, there are 12 houses and 9 planets. 12 times 9 equals 108.
Powers of 1, 2, and 3 in math: 1 to 1st power=1; 2 to 2nd power=4 (2x2); 3 to 3rd power=27 (3x3x3). 1x4x27=108
Harshad number: 108 is a Harshad number, which is an integer divisible by the sum of its digits (Harshad is from Sanskrit, and means "great joy")
River Ganga: The sacred River Ganga spans a longitude of 12 degrees (79 to 91), and a latitude of 9 degrees (22 to 31). 12 times 9 equals 108.
1, 0, and 8: Some say that 1 stands for God or higher Truth, 0 stands for emptiness or completeness in spiritual practice, and 8 stands for infinity or eternity.
Pranayama: If one is able to be so calm in meditation as to have only 108 breaths in a day, enlightenment will come.
Now that you know your basic Mala 101 (er, Mala 108?), hopefully you can find the time with your necklace to practice it’s formal use and have a deeper respect and understanding into why they’re worn – especially if you’re wearing one while traveling through countries where they’re traditionally used. The mala necklace, so much more than a new-age fashion statement or proof of your nomadic worldliness.

विशेष :कृपया इसे भी देखें - माला के १०८ मनकों का रहस्य ,अमर उजाला (पृष्ठ ९ ,३ सितंबर २०२० )


जप माला में 108 मनके यूं ही नहीं होते, ये है रहस्य
महात्मा भगवान दीन 
सार
108 मनकों की माला को इसलिए पवित्र मानते हैं:
योग शास्त्रों के अनुसार शरीर में 108 तरह की विशिष्ट ग्रथियां होती हैं
बुद्ध के जन्म के समय 108 ज्योतिषियों के उपस्थित रहने की बात कही जाती है
विभिन्न धर्मों में 27, 54, 108 मनके वाली माला का विधान है ,इस्लाम इसका अपवाद है जहां ९९ मनकों का चलन है सौंवां मनका स्वयं अल्लाह है ,ब्रह्म है। 
विस्तार
एक स्मरण तो होता है चलते फिरते। आप दुनिया के सब काम कर रहे हैं और भगवान को या अपने इष्ट आराध्य को भी याद कर रहे हैं। यह स्मरण सहज है। अर्थात किसी भी समय किया जा सकता है। दूसरा स्मरण अनुष्ठानिक है। उसके लिए समय स्थिति और स्थिरता तीनों जरूरी है। इस विधि में खास समय पर खास स्थिति में खास ढंग से अपने इष्ट को याद करना होता है। इस विधि को उपासना या अनुष्ठान कहते हैं। विधि विधान चाहे जो हों लेकिन सभी धर्मों में परमात्मा को खास समय तक याद करने के लिए माला का उपयोग किया जाता रहा है। सिर्फ समय का ही ध्यान रखना होता है, माला की जगह घड़ी या समय का माप करने वाली कोई दूसरी विधि भी अपनाई जा सकती थी। लेकिन उस स्मरण में माला का उपयोग किया जाता रहा है। उपरी तौर पर लगता है कि यह उपयोग समय का हिसाब रखने के लिए है।
जप माला में 108 मनके यूं ही नहीं होते, ये है रहस्य
लेकिन असल में इसके आध्यात्मिक लाभ हैं। तभी माला फेरने की विधियां भिन्न हैं, लेकिन उसके मनकों की संख्या में करीब करीब समानता होती है। जैसे विभिन्न धर्मों में 27, 54, 108 मनके वाली माला का विधान है। उस माला के साथ मन सहज ही अपने इष्ट आराध्य में केंद्रित हो जाता है। जानकारों के अनुसार इस माला के उपयोग का विज्ञान है। श्रद्धा, भक्ति और समर्पण की प्रतीक माला के 108 मनके अपने में गूढ़ अर्थ संजोए हैं। खगोल विद्या के अनुसार एक वर्ष में 27 नक्षत्र होते हैं। प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण हैं, इस प्रकार 108 चरण हुए। यह संख्या शुभ मानी जाती है, क्योंकि इससे तन मन और अंतर्जगत का परिष्कार होता है। जैन मत में भी 108 मनकों की माला को इसलिए पवित्र मानते हैं कि इससे मन, वचन और कर्म से जो हिंसा आदि पापों का निराकरण होता है।
जप माला में 108 मनके यूं ही नहीं होते, ये है रहस्य

जप मुद्रा हाथ
बौद्ध मत में भी यह संख्या शुभ मानी गई है। बुद्ध के जन्म के समय 108 ज्योतिषियों के उपस्थित रहने की बात कही जाती है। बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले देश जापान में श्राद्ध के अवसर पर 108 दीपक जलाने की प्रथा है। योग शास्त्रों के अनुसार शरीर में 108 तरह की विशिष्ट ग्रथियां होती हैं, उनका परिष्कार हो सके तो अध्यात्म पथ पर आसानी से बढ़ा जा सकता है। कहते हैं कि माला के 108 मनकों का उन ग्रंथियों से गहरा संबंध होता है।




https://www.amazon.in/Allah-Islamic-Prayer-Muslim-Misbaha/dp/B00K98QISG

नीचे तस्बीह है जिसके हर मनके पर अल्लाह या मुहम्मद का नाम अंकित है अल्लाह के ९९ नाम हैं इस्लाम में पर है वह एक ही ,एक  ओंकार 

Muslim Bookmark - Allah & Muhammad Engraved Islamic Prayer Rosary Beads

सोमवार, 24 अगस्त 2020

साधो निंदक मित्र हमारा। निंदक को निकटै ही राखूं होन न दें नियारा। पाछे निंदा करि अघ धोवै, सुनि मन मिटै बिकारा। जैसे सोना तापि अगिन मैं, निरमल करै सोनारा॥

जिस कउ राखै सिरजनहारू। झख मारउ सगल संसारु।। (आदि श्री गुरुग्रंथ साहब ,गोंड महला पांच )

संत का लीआ धरति  बिदारउ। संत का निंदकु  अकास ते टारउ। संत कउ राखउ अपने जीअ नालि। संत उधारउ तत खिण  तालि | | १ | |  सोई संतु जि भावै राम। संत गोबिंद कै एकै काम। || १ | | रहाउ | | संत कै ऊपरि देई प्रभु हाथ। संत कै  संगि  बसै दिनु राति। सासि सासि संतह प्रतिपालि। संत का दोखी राज ते टालि | | २ | | संत की निंदा करहु न कोइ। जो निंदै तिस का पतनु  होइ। जिस कउ राखै सिरजन हारु। झख मारउ सगल संसारु | | ३ | | प्रभ अपने का भइआ बिसासु। जीउ पिंडु सभु (मू ० ८६७ /६८ )तिसकी रासि। नानक कउ उपजी परतीति। मनमुख हार गुरमुख सद जीति | | ४ | | १६ | | १८ | |   

संतों द्वारा तिरस्कृत जीव धरती पर रहने के योग्य नहीं है। संतों की निंदा करने वाले को आकाश से गिरा दिया जाना चाहिए। संतों का नाम अपने प्राणों के साथ रखा जाना चाहिए ,क्योंकि संतों की कृपा हो जाए तो क्षण भर में ही जीव का उद्धार हो सकता है।१।

संत वही है जो प्रभु को प्रिय हो ,जो प्रभु का प्रिय हो; वास्तव में संत और परमात्मा का एक ही काम है अर्थात  हरि और संत में अभेद होता है।|  (१ ) |

संत मिलें तो मैं मिल जाऊं संत न मोते न्यारे (उधौं मोहे संत सदा अति प्यारे। ...)

संतों को परमात्मा का वरद हस्त ,संरक्षण प्राप्त होता है। इसीलिए दिन रात उन्हीं के संग  रहना समीचीन (ठीक )है। परमात्मा श्वास -श्वास संतों का पालन करता है। संतों को कष्ट पहुंचाने वाला अपनी प्रभुसत्ता (राजपाट )खो बैठता है। | | २ | |

ऐ लोगों , संतों की निंदा मत करो ,निंदा करने वाले का पतन निश्चित होता है। (हालांकि संत ही कह गए हैं :

निंदक नियरे राखिये आँगन कुटी  छवाय ,
बिन साबुन पानी बिना निर्मल होय सुभाय !

संत निंदा  प्रशंशा दोनों से ऊपर होते हैं। कुछ तो निंदक को अपना सबसे बड़ा मित्र समझते हैं। संत चरण दास कहते हैं :

साधो निंदक मित्र हमारा।
निंदक को निकटै ही राखूं होन न दें नियारा।

पाछे निंदा करि अघ धोवै, सुनि मन मिटै बिकारा।
जैसे सोना तापि अगिन मैं, निरमल करै सोनारा॥

घन अहरन कसि हीरा निबटै, कीमत लच्छ हजारा।
ऐसे जांचत दुष्ट संत कूं, करन जगत उजियारा॥

जोग जग्य जप पाप कटन हितु, करै सकल संसारा।
बिन करनी मम करम कठिन सब, मेटै निंदक प्यारा।

सुखी रहो निंदक जग माहीं, रोग न हो तन सारा।
हमरी निंदा करने वाला, उतरै भवनिधि पारा॥

निंदक के चरणों की अस्तुति, भाखौं बारंबारा।
'चरणदास' कहै सुनिए साधो, निंदक साधक भारा॥

वह परमात्मा जिसका रक्षक है ,सारा संसार चाहे झख मार ले ,उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। || 3 | |

होनी तो होके  रहे  लाख करे किन  कोय।

जाकू राखै साईंयां मार सके न कोय।

 फ़ानूस बन जिसकी हिफाज़त हवा करे ,

वो शम्म -अ क्या बुझे रोशन जिसे  ख़ुदा   करे।

 फ़ानूस  :शैंडेलियर्स ,Chendelliars ,Lamp shades

अपने प्रभु पर जब  विश्वास   जगता है ,तो जीवन तन मन को उसी की धरोहर मानकर उसी पर समर्पित कर देता है। गुरुनानक का  विश्वास है ,परमात्मा को समर्पित हो जाने वाला गुरुमुख सदा विजयी होता है ,मन के संकेतों पर आचरण करने वाला मन की मानने वाला मनमुख जीव जीवन में पराजित हो जाता है।
https://www.youtube.com/watch?v=lYsA9v_iC34

साधु निंदक मित्र हमारा... |श्री चरण दास जी महाराज पद | परम पूज्य श्री राजेंद्र दास जी महाराज ❣❣❣

 सत श्री अकालजियो !




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शनिवार, 1 अगस्त 2020

"रामचरित जे सुनत अघाहीं, रस विसेष जाना तिन्ह नाहीं।"

जैसे -जैसे पांच अगस्त का शुभ दिन पास आ रहा है भारत राममय हो उठा है।कलाकृतियां श्रृद्धा  का उद्वेलन हैं आलमी मेले का माहौल बन रहा है। भाग्य श्री -धनश्री वाटकर किशोरियां मानों लव कुश के नवावतार में स्वर माधुरी लिए चली आईं हैं आप भी रामभक्ति सरोवर का अवगाहन कीजिये गोता लगाइये सरयू में स्वरसाधना में :

ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की

हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की ,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।

जम्बूद्वीपे भरत खंडे आर्यावर्ते भारतवर्षे ,
एक नगरी है विख्यात अयोध्या नाम की,
यही जन्मभूमि है परम् पूज्य श्री राम की,
हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की ,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।.

रघुकुल के राजा धर्मात्मा ,
चक्रवर्ती दसरथ पुण्य आत्मा  ,
संतति हेतु यज्ञ करवाया ,
धर्म यज्ञ का शुभ फल पाया।
नृप घर जन्मे चार कुमारा ,
रघुकुल दीप जगत आधारा ,
चारों भ्रातों के शुभ नामा ,
भरत ,शत्रुघ्न ,लक्ष्मण रामा। .

गुरु वशिष्ठ के गुरुकुल जाके ,
'अल्पकाल विद्या सब पाके ,
पूरण हुई शिक्षा ,रघुवर पूरण काम की ,
हमकाथा सुनाते राम सकल गुणधाम की ,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।.

मृदु स्वर कोमल भावना ,
रोचक प्रस्तुति ढंग ,
एक एक कर वर्रण  करें ,
लव कुश राम प्रसंग ,
विश्वामित्र महामुनि राई ,
तिनके संग चले दोउ भाई ,
कैसे राम ताड़का मारी ,
कैसे नाथ अहिल्या ताड़ी।

मुनिवर विश्वामित्र तब ,
संग ले  लक्ष्मण  राम ,
सिया स्वयंवर देखने ,
पहुंचे मिथिला धाम।  .

जनकपुर उत्सव है भारी  ,
जनकपुर उत्सव है  भारी  ,
अपने वर का चयन करेगी, सीता सुकुमारी ,
जनकपुर उत्सव है भारी ।
https://www.youtube.com/watch?v=JWPyJMfTa6o

राम, तुम्हारा चरित स्वयं ही काव्य है।
कोई कवि बन जाय, सहज संभाव्य है।
"हम चाकर रघुवीर के, पटौ लिखौ दरबार;
अब तुलसी का होहिंगे नर के मनसबदार?
तुलसी अपने राम को रीझ भजो कै खीज,
उलटो-सूधो ऊगि है खेत परे को बीज।
बनें सो रघुवर सों बनें, कै बिगरे भरपूर;
तुलसी बनें जो और सों, ता बनिबे में धूर।
चातक सुतहिं सिखावहीं, आन धर्म जिन लेहु,
मेरे कुल की बानि है स्वाँति बूँद सों नेहु।"
स्वयं तुम्हारा वह कथन भूला नहीं ललाम-
"वहाँ कल्पना भी सफल, जहाँ हमारे राम।"
तुमने इस जन के लिए क्या क्या किया न हाय!
बना तुम्हारी तृप्ति का मुझसे कौन उपाय?
तुम दयालु थे, दे गए कविता का वरदान।
उसके फल का पिंड यह लो निज प्रभु गुणगान।
आज श्राद्ध के दिन तुम्हें, श्रद्धा-भक्ति-समेत,
अर्पण करता हूँ यही निज कवि-धन 'साकेत'।
अनुचर-
मैथिलीशरण
दीपावली 1988


"परित्राणाय साधूनां, विनाशाय च दुष्कृताम्,
धर्म संस्थापनार्थाय, सम्भवामि युगे युगे।"


"कल्पभेद हरि चरित सुहाए,
भांति अनेक मुनीसन गाए।"

"हरि अनंत, हरि कथा अनंता;
कहहिं, सुनहिं, समुझहिं स्रुति-संता।"

"रामचरित जे सुनत अघाहीं,
रस विसेष जाना तिन्ह नाहीं।"


"भरि लोचन विलोकि अवधेसा,
तब सुनिहों निरगुन उपदेसा।"


करते तुलसीदास भी कैसे मानस-नाद?--
महावीर का यदि उन्हें मिलता नहीं प्रसाद।

राम, तुम मानव हो? ईश्वर नहीं हो क्या?
विश्व में रमे हुए नहीं सभी कहीं हो क्या?
तब मैं निरीश्वर हूँ, ईश्वर क्षमा करे;
तुम न रमो तो मन तुम में रमा करे

                          -----------------   मैथलीशरण गुप्त ( साकेत से  कुछ अंश )

वीरुभाई !








https://www.youtube.com/watch?v=tGz_1vp0Qwk


#watkarsisters

Hum Katha Sunate Ram Sakal Gun Dhaam Ki|रामायण गीत । Ramayan Luv Kush Song। watkarsisters।

https://www.youtube.com/watch?v=tGz_1vp0Qwk

#SanskarTV #WatkarSisters #BhagyashriDhanashriWatkar

इंडियन आइडल फेम भाग्यश्री-धनश्री वाटकर की सुरीली आवाज में भजन "श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी"