अनकही :कांग्रेस की लाज अब भोले के हाथ
इसे भोले बाबा का चमत्कार ही कहा जाएगा युवराज को भोले के परिसर में ईर्ष्या कहीं भी दिखलाई नहीं दी। इसका मतलब साफ़ है ईर्ष्या मोदी की संसद में ही थी। यदि शहजादे के अंदर होती तो वहां भी दिखलाई देती।
उनका शायद ख्याल था ईर्ष्या वहां भी हो लेकिन उनका अब ये मत पुख्ता हो चुका है ईर्ष्या सिर्फ और सिर्फ मोदी की संसद में है भोले की संसद में नहीं है।
जो हो यदि उनका मन निर्मल हुआ है भांडा साफ़ हुआ है अंदर से तो यह अच्छा ही है। मालूम हो घृणा एक प्रकार का विष होता है और भोले तो जन्मजात विषपाई हैं विषपान करते हैं इसीलिए नीलकंठ कहलाते हैं।
लेकिन इस सबसे सुरजेवाला बहुत निराश हैं अलबत्ता उनके अलावा भी कई और उनके चिरकुट लगातार उन्हें सन्देश प्रसारित कर रहें हैं वहां जफ्फी मत पाना किसी की।
वहां सब का मन निरंजन है उज्जवल है शांत और भक्ति भाव से प्रशांत हैं। अब अगर शहजादे साहब स्वेत वस्त्रों के अंदर अधोवस्त्र भी कहीं लाल पहने होते तो सुरजेवाला अब तक उन्हें हनुमान भक्त घोषित करवा देते आखिर हनुमान भी तो शिवजी के ही अवतार हैं।
पहली सीढ़ी चढ़ गए हैं राहुल बाबा।न उन्हें जफ्फी पानी पड़ी न बाद में आँख
मारने की नौबत आई।
जिसका 'मान 'हनू 'रहता है वही तो हनूमान कहलाता है।
अब कांग्रेस की लाज भोले के ही हाथ रहेगी।
इसे भोले बाबा का चमत्कार ही कहा जाएगा युवराज को भोले के परिसर में ईर्ष्या कहीं भी दिखलाई नहीं दी। इसका मतलब साफ़ है ईर्ष्या मोदी की संसद में ही थी। यदि शहजादे के अंदर होती तो वहां भी दिखलाई देती।
उनका शायद ख्याल था ईर्ष्या वहां भी हो लेकिन उनका अब ये मत पुख्ता हो चुका है ईर्ष्या सिर्फ और सिर्फ मोदी की संसद में है भोले की संसद में नहीं है।
जो हो यदि उनका मन निर्मल हुआ है भांडा साफ़ हुआ है अंदर से तो यह अच्छा ही है। मालूम हो घृणा एक प्रकार का विष होता है और भोले तो जन्मजात विषपाई हैं विषपान करते हैं इसीलिए नीलकंठ कहलाते हैं।
लेकिन इस सबसे सुरजेवाला बहुत निराश हैं अलबत्ता उनके अलावा भी कई और उनके चिरकुट लगातार उन्हें सन्देश प्रसारित कर रहें हैं वहां जफ्फी मत पाना किसी की।
वहां सब का मन निरंजन है उज्जवल है शांत और भक्ति भाव से प्रशांत हैं। अब अगर शहजादे साहब स्वेत वस्त्रों के अंदर अधोवस्त्र भी कहीं लाल पहने होते तो सुरजेवाला अब तक उन्हें हनुमान भक्त घोषित करवा देते आखिर हनुमान भी तो शिवजी के ही अवतार हैं।
पहली सीढ़ी चढ़ गए हैं राहुल बाबा।न उन्हें जफ्फी पानी पड़ी न बाद में आँख
मारने की नौबत आई।
जिसका 'मान 'हनू 'रहता है वही तो हनूमान कहलाता है।
अब कांग्रेस की लाज भोले के ही हाथ रहेगी।
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