गुरुवार, 12 अगस्त 2021

मज़हब और जाति के घेरे ,घेरे मेरी संसद को

 मज़हब और  जाति के घेरे ,घेरे मेरी संसद को ,

 रहने दो संसद को संसद ,तोड़ो घेरा बंदी को। 

आसंदी का मान करो ,संसद का सम्मान करो ,

टेबिल पे चढ़के तुम भैया मत इतना अभिमान करो.

मत फैंकों कागज़ के टुकड़े सभापति के आसन पर ,

मत तोड़ो दरवाज़ों को ,दीवारों का ध्यान करो ,

वीडिओज़  का नित करते  खेला ,

भीड़ युवा का ध्यान धरो, संसद का सम्मान करो। 

मार्शल रखते ध्यान तुम्हारा ,तुम भी तो कुछ ध्यान धरो ,

मदमाया पद आनीजानी ,कहते सारे ग्यानी ,

कहलाते तुमभी तो ग्यानी ,अपना ही कुछ ध्यान धरो। 


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