बुधवार, 28 अक्तूबर 2015

लहू -रंगी जिनके मालिक हैं , सब भकुओं की दूकानें हैं।

दूकानें कई क़दीमी हैं ,

गाहक जिनके दीवाने हैं।

ये फेसबुकिया दूकानें हैं।

कुछ दूकानों पर बोर्ड लगे ,

कुछ बिना बोर्ड दूकाने हैं ॥

          (२)

कुछ पर सेकुलर सामान सजे ,

लहू -रंगी जिनके मालिक हैं ,

सब भकुओं की दूकानें हैं।

बाज़ारू अर्थव्यवस्था के कुल -सौ-एक ठिकानें हैं ,

खुलकर आते जहां देश भक्त  ,सब बोर्ड लगी दूकानें हैं।

        (3)

दूकाने कई सदाचारि ,कदाचारी कई दुकानें हैं ,

प्रभु गाहक रहना सावधान कई साइबर कोर्ट सुहाने है,

चेहरे जाने पहचाने हैं कई अपने कई बे -गानें हैं।

क़दीमी =मशहूर ,जैसे रेवाड़ी की मशहूर रेवड़ी की दूकान ,मिगलानी चाय वाला ,मारवाड़ी रबड़ी -बादाम

गाहक =ग्राहक ,कस्टमर

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