शुक्रवार, 27 अक्तूबर 2017

Women & Cardiovascular Disease(Hindi ll )

Heart and Cardiovascular diseases (Hindi ll )

Women & Cardiovascular Disease


अक्सर परिवार के सभी लोग -क्या मर्द और क्या औरत ,यही सोचते हैं -दिल की बीमारी महज़ मर्दों की बीमारी है। अपने भारत में अक्सर औरतों के सीने से उठने वाले दर्द के बारे में कह दिया जाता है -वहम है आपको गैस बन रही होगी (जबकि ऐसा होना एक मेडिकल कंडीशन भो हो सकती है एंजाइना या फिर और बड़ा ब्लॉकेड (धमनी अवरोध ),जब तक पता चलता है जांच से बहुत देर हो चुकी होती है। 

गौर तलब है संयुक्त राज्य अमेरिका (उत्तरी अमरीका )में मौत की एक बड़ी वजह औरतों और मर्दों में हृद -रोग ही बना हुआ है। 

नोट  करने लायक बात यह भी है , महिलाओं के मामले में स्ट्रोक अमरीका में औरतों की मौत का तीसरा बड़ा कारण बना हुआ है। 

Cardio -vascular Disease Risk Factors 


विशेष जाति  या धर्म समूह ही नहीं सभी जातियों ,समुदायों की महिलाओं का रोग है दिल का रोग। मधुमेह से ग्रस्त महिलायें भी सहज ही इससे असरग्रस्त हो जाती है। अफ़्रीकी अमरीकी महिलाओं में इसकी पूर्वापरता और दिल की बीमारी की दर गौरी महिलाओं के मुकाबले ज्यादा देखी  गई है।एशियाई मूल के लोगों में भी ऐसा ही देखने में आया है।  

हृद-वाहिका तंत्र से सम्बन्धी  (हृदय और रक्त संचरण तंत्र सम्बन्धी रोग )

 कितने किस्म के हैं ?


Types of Cardiovascular Diseases

यहां हम कुछ आम रोगों का ही ज़िक्र कर रहें हैं जो बहुत कॉमन हैं,आमतौर पर देखने में आये हैं :

(नेशनल वूमेन हेल्थ इन्फर्मेशन सेंटर (NWHIC)इनका विस्तृत ब्योरा अपनी वेब साइट पर उपलब्ध करवाता है। ) 

(१  )कार्डिओवैस्कुलर अथेरोस्क्लेरोसिस :इस मेडिकल कंडीशन में धमनियां संकरी भी हो जाती हैं लोच खोकर कठोर भी। धमनी काठिन्य (आर्टेरिओस्क्लेरोसिस )ही है यह एक किस्म का। और यह सब एक दिन में नहीं हो जाता है हमारे उम्रदराज़ होते जाने  के संग -संग कुछ धमनी काठिन्य तो स्वत :स्फूर्त होता है। साथ साथ तात्कालिक तौर पर उम्र के संग -साथ होता है । सभी कुछ तो छीजता है उम्र के साथ। 

अथेरोस्क्लेरोसिस में धमनी की अंदरूनी दीवार पे प्लाक (चिकनाई जैसा वसीय कचरा )जमा होते रहने से धमनियां संकरी हो जाती है। ट्रांस फेट और जीवन शैली से जुड़े भ्रष्ट - खान -पान का भी इसमें हाथ रहता ही है। 

क्या है खून का थक्का ?

आइये समझते हैं :

अंडरस्टैंडिंग ब्लड क्लॉट्स :परिणाम होते हैं ये थक्के ,ठंडा होने पर जमने वाली चिकनाई से पैदा वसीय प्लाक्स के ,कोलेस्ट्रॉल यानी खून में घुली अतिरिक्त चर्बी और अन्य कचरे के जो धमनी की अंदरूनी दीवारों पर चस्पां होकर उन्हें  संकरा बना देते हैं। रक्त संचरण में अवरोध पैदा होने से पैदा होतें हैं ये थक्के जो खून के सहज प्रवाह में और बाधा डालते हैं। 

हार्ट अटेक्स और सेरिब्रल स्ट्रोक (दिमाग का दौरा )इन्हीं थक्कों से पड़ते हैं। 

अलावा इसके खून में घुली हुई चर्बी कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का निर्धारित मात्रा से ज्यादा हो जाना ,धूम्रपान का शौक (जीवन शैली में धूम्रपान को फैशन स्टेटमेंट मान ने की भूल करना ,भारत में महिलाओं का एक वर्ग इससे ग्रस्त है ),उच्च रक्त चाप से ,मधुमेह से पहले ही ग्रस्त होना ,मोटापा और बैठे -बैठे घंटों काम करने की मजबूरी ,जड़ -दैनिकी जिसमें घूमने फिरने का अवकाश नहीं है ,आपके लिए दिल और दिमाग के दौरे या अटेक के वजन को बढ़ाते हैं जोखिम हैं बड़े भारी।दिल को जोखों यूं और भी हैं।  

(शेष अगली और तीसरी क़िस्त में ...) 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें