"बयान का गलत मतलब निकाला "यह कहना है मेट्रोप्लोिटन मजिस्ट्रेट मुनीश गर्ग का। गौर तलब है एक उकील सत्य प्रकाश गौतम ने याचिका देकर वीके सिंह की कथित टिप्पणी के लिए पुलिस को एफआईआर दर्ज़ करने का निर्देश देने की मांग की थी। मुनीश गर्ग की इस मामले में यह टिप्पणी गौर करने लायक है :इस मामले को देखने समझने के बाद भी इससे किसी अपराध का पता नहीं चला।
बढ़ा -चढ़ाकर कर पेश किया :
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने केंद्रीय मंत्री माननीय वीके सिंह को क्लीन चिट देते हुए घटना की जिम्मेदारी से केंद्र सरकार को अलग रखते हुए कहा कि ऐसी हरकतों के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता जिससे उसका कुछ लेना देना न हो और वह लोकल नेचर की हो। महज इसलिए कि दोनों पीड़ित दलित समुदाय से ताल्लुक रखती थीं ,वीके सिंह की टिप्पणी को इस प्रकार से बढ़ाचढ़ा कर पेश नहीं किया जाना चाहिए था कि सिंह का इरादा विक्टिम को कुत्ते कहकर बुलाना था।
पता नहीं कैसे कैसे नमूने इस देश में उकील बन गए हैं जो मंदमति राहुल की शह के पीछे पीछे चल देते हैं। ये एक वंश के चाकर हैं उकील वुकील नहीं है।
और वो चार उच्चक्के चालीस चोर आज भी संसद को इस मुद्दे पे घेरे हुए हैं।
और वो इटली की मल्लिका किसे धमकी दे रही है ये कहकर की मैं किसी से डरने वाली नहीं। कोर्ट को या खुद को ऐसा कहकर आश्वस्त कर रही है ?
बढ़ा -चढ़ाकर कर पेश किया :
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने केंद्रीय मंत्री माननीय वीके सिंह को क्लीन चिट देते हुए घटना की जिम्मेदारी से केंद्र सरकार को अलग रखते हुए कहा कि ऐसी हरकतों के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता जिससे उसका कुछ लेना देना न हो और वह लोकल नेचर की हो। महज इसलिए कि दोनों पीड़ित दलित समुदाय से ताल्लुक रखती थीं ,वीके सिंह की टिप्पणी को इस प्रकार से बढ़ाचढ़ा कर पेश नहीं किया जाना चाहिए था कि सिंह का इरादा विक्टिम को कुत्ते कहकर बुलाना था।
पता नहीं कैसे कैसे नमूने इस देश में उकील बन गए हैं जो मंदमति राहुल की शह के पीछे पीछे चल देते हैं। ये एक वंश के चाकर हैं उकील वुकील नहीं है।
और वो चार उच्चक्के चालीस चोर आज भी संसद को इस मुद्दे पे घेरे हुए हैं।
और वो इटली की मल्लिका किसे धमकी दे रही है ये कहकर की मैं किसी से डरने वाली नहीं। कोर्ट को या खुद को ऐसा कहकर आश्वस्त कर रही है ?
न कोई किसी को डरा सकता है न निर्भय बना सकता है भले कोई इंदिरा जी क्या ब्रह्माजी की बहु हो,व्यक्ति अपना
कर्म ही है
काहु न कोउ सुख दुःख कर दाता , निज कृत करम भोग सब भ्राता
व्यक्ति अपना कर्म ही है। कोई किसी के सुख ,दुःख,की वजह नहीं बनता है।
व्यक्ति अपना कर्म ही है। कोई किसी के सुख ,दुःख,की वजह नहीं बनता है।
न
कोई किसी को डरा सकता है न निर्भय बना सकता है भले कोई इंदिरा जी
क्या ब्रह्माजी की बहु हो। इंदिराजी की तो एक और भी बहु है नितांत शालीन
मर्यादित ,शिक्षित पत्रकारा भी है वह ,एनिमल एक्टिविस्ट भी।
कर्म प्रधान विश्व रची राखा ,जो जस करहिं सो फलु चाखा।
कर्म प्रधान विश्व रची राखा ,जो जस करहिं सो फलु चाखा।
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