नरेंद्र मोदी के अफगानिस्तान से लौटते हुए पाकिस्तान का आकस्मिक आशु दौरा यह प्रमाणित करता है कि उन्होंने साफ़ कर दिया -अफगानिस्तान से हमारे सम्बन्ध यही रहेंगे
कम अक्ल कांग्रेस हर मुद्दे पर मूर्खता पूर्ण टिप्पणी देकर देश की बदनामी करवा रही है। विदेशी सोचते होंगें भारत में इतनी मूढ़मति लोग रहते हैं। इससे बेहतर है कांग्रेसी प्रवक्ता और नीतीश के तोते जो न शक्ल से सुन्दर हैं न अक्ल से विषय की जानकारी न होने पर चुप रहा करें।
दस साल तक जिस कांग्रेस ने प्रधानमन्त्री के नाम पर एक पुतले को खड़ा रखा जिसे देश नीति का ही इल्म नहीं था। वह कांग्रेस विदेश नीति पर टिप्पणी देकर अपनी जग हंसाई करवा रही है। क्या कांग्रेस एक लाइन में ही दौड़ने को विदेश नीति मानती है। या विदेश नीति में प्रत्युत्पन्नमति जन्य तात्कालिकता भी होती है ?कुछ मोड़ भी होते हैं ?
आउट आफ बॉक्स थिंकिंग भी होती है ?
आखिर वह कांग्रेस जो मायनो के लिखकर पढ़े गए भाषण को दोहराने के अलावा कुछ नहीं जानती क्यों एक के बाद दूसरी मूर्खता करने पर उतारू है ?
जिनके चेहरे से जूता भी शर्माने लगा है वह आनंद शर्मा अपनी सोच का दिवालियापन जाहिर करते हुए प्रधानमन्त्री के आशु -पाकिस्तान- हाल्ट पर कहते हैं :यह दौरा एक उद्योगपति के इशारे पे किया गया ताकि उनके उद्योगिक हितों को साधा जा सके। जब पत्रकार ने इन महाशय से उस उद्योगपति का नाम पूछा तो ज़नाब बगलें झाँकने लगे। ऐंठने लगे शेष चार उच्चक्के चालीस चोरों की तरह। महाशय ने प्रश्नकर्ता पत्रकार के हाथ से माइक छीनकर खाने की कोशिश भी की।
जिसका चेहरा जूते खा खा के घिस चुका है ऐसे चेहरे वाले नीतीश के एक तोते बोले -मोदी दाऊद के जन्म दिन का केक खाने गए थे। कैसे भारतीय हैं ये चाकर नुमा प्रवक्ता जिन्हें न अपनी उम्र का लिहाज़ है न देश का। इनसे तो बेहतर वे पाकिस्तानी प्रवक्ता थे जो बड़े सलीके से सब कुछ प्रस्तुत कर रहे थे -संयत प्रतिक्रिया के तहत।
लालू के एक प्रवक्ता है पवन वर्मा -ये भी कम आला नहीं हैं। मीडिया के भी बिकाऊ होने की हद होती है इन्हें ये छटे हुए मूर्खशिरोमणि ही हर विषय पर प्रतिक्रिया के लिए नज़र आते हैं।
नरेंद्र दामोदर मोदी एक गत्यात्मक (Dynamic ) प्रधानमंत्री हैं जो नवाज़ शरीफ की सहृदयता को भांप गए और उनके घर पहुँच गए उन्हें मुबारक बाद देने-बस शरीफ साहब ने इतना ही कहा था आप फोन पर क्यों पाकिस्तान आकर बधाई दीजिये हम आपका स्वागत करेंगे। आप अफगानिस्तान में हैं हमारे घर से ही तो गुज़रेंगे।बिना मिले चले जाएंगे।
और राजनय एक पारिवारिक चेहरा बनके मुखर होने लगा।
पाकिस्तान के विपक्ष ने मोदी का ज़ोरदार स्वागत किया है । भारत के विपक्ष में बेहद की बे -चैनी दिखलाई दी है मोदी के इस बेहतरीन स्ट्रोक पर, जो राजनय के नए आयाम खोलता है। लेकिन अक्ल से पैदल कांग्रेस को हेराल्ड के दागों के अलावा कुछ नज़र नहीं आता। आश्चर्य है :जमानती शहजादा इस मौके पर नदारद था।
नरेंद्र मोदी के अफगानिस्तान से लौटते हुए पाकिस्तान का आकस्मिक आशु दौरा यह प्रमाणित करता है कि उन्होंने साफ़ कर दिया -अफगानिस्तान से हमारे सम्बन्ध यही रहेंगे। आपने हमें सुना है अफगानिस्तान में तक़रीर करते हुए।
नरेंद्र दामोदर मोदी ने राजनय को पारिवारिक आयाम दिए हैं अपनी जान की भी परवाह न करते हुए वे नवाज़ शरीफ के सुरक्षा प्रबंध पर अपना पूरा भरोसा बनाये रहे।
दस साल तक जिस कांग्रेस ने प्रधानमन्त्री के नाम पर एक पुतले को खड़ा रखा जिसे देश नीति का ही इल्म नहीं था। वह कांग्रेस विदेश नीति पर टिप्पणी देकर अपनी जग हंसाई करवा रही है। क्या कांग्रेस एक लाइन में ही दौड़ने को विदेश नीति मानती है। या विदेश नीति में प्रत्युत्पन्नमति जन्य तात्कालिकता भी होती है ?कुछ मोड़ भी होते हैं ?
आउट आफ बॉक्स थिंकिंग भी होती है ?
आखिर वह कांग्रेस जो मायनो के लिखकर पढ़े गए भाषण को दोहराने के अलावा कुछ नहीं जानती क्यों एक के बाद दूसरी मूर्खता करने पर उतारू है ?
जिनके चेहरे से जूता भी शर्माने लगा है वह आनंद शर्मा अपनी सोच का दिवालियापन जाहिर करते हुए प्रधानमन्त्री के आशु -पाकिस्तान- हाल्ट पर कहते हैं :यह दौरा एक उद्योगपति के इशारे पे किया गया ताकि उनके उद्योगिक हितों को साधा जा सके। जब पत्रकार ने इन महाशय से उस उद्योगपति का नाम पूछा तो ज़नाब बगलें झाँकने लगे। ऐंठने लगे शेष चार उच्चक्के चालीस चोरों की तरह। महाशय ने प्रश्नकर्ता पत्रकार के हाथ से माइक छीनकर खाने की कोशिश भी की।
जिसका चेहरा जूते खा खा के घिस चुका है ऐसे चेहरे वाले नीतीश के एक तोते बोले -मोदी दाऊद के जन्म दिन का केक खाने गए थे। कैसे भारतीय हैं ये चाकर नुमा प्रवक्ता जिन्हें न अपनी उम्र का लिहाज़ है न देश का। इनसे तो बेहतर वे पाकिस्तानी प्रवक्ता थे जो बड़े सलीके से सब कुछ प्रस्तुत कर रहे थे -संयत प्रतिक्रिया के तहत।
लालू के एक प्रवक्ता है पवन वर्मा -ये भी कम आला नहीं हैं। मीडिया के भी बिकाऊ होने की हद होती है इन्हें ये छटे हुए मूर्खशिरोमणि ही हर विषय पर प्रतिक्रिया के लिए नज़र आते हैं।
नरेंद्र दामोदर मोदी एक गत्यात्मक (Dynamic ) प्रधानमंत्री हैं जो नवाज़ शरीफ की सहृदयता को भांप गए और उनके घर पहुँच गए उन्हें मुबारक बाद देने-बस शरीफ साहब ने इतना ही कहा था आप फोन पर क्यों पाकिस्तान आकर बधाई दीजिये हम आपका स्वागत करेंगे। आप अफगानिस्तान में हैं हमारे घर से ही तो गुज़रेंगे।बिना मिले चले जाएंगे।
और राजनय एक पारिवारिक चेहरा बनके मुखर होने लगा।
पाकिस्तान के विपक्ष ने मोदी का ज़ोरदार स्वागत किया है । भारत के विपक्ष में बेहद की बे -चैनी दिखलाई दी है मोदी के इस बेहतरीन स्ट्रोक पर, जो राजनय के नए आयाम खोलता है। लेकिन अक्ल से पैदल कांग्रेस को हेराल्ड के दागों के अलावा कुछ नज़र नहीं आता। आश्चर्य है :जमानती शहजादा इस मौके पर नदारद था।
नरेंद्र मोदी के अफगानिस्तान से लौटते हुए पाकिस्तान का आकस्मिक आशु दौरा यह प्रमाणित करता है कि उन्होंने साफ़ कर दिया -अफगानिस्तान से हमारे सम्बन्ध यही रहेंगे। आपने हमें सुना है अफगानिस्तान में तक़रीर करते हुए।
नरेंद्र दामोदर मोदी ने राजनय को पारिवारिक आयाम दिए हैं अपनी जान की भी परवाह न करते हुए वे नवाज़ शरीफ के सुरक्षा प्रबंध पर अपना पूरा भरोसा बनाये रहे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें