मंगलवार, 4 दिसंबर 2018

ताकि उसे कोई रँडुवा न कहे

ताकि उसे कोई रँडुवा न कहे 

आप सोच रहे होंगे ये 'उसे 'कौन है ,वही है जिसकी पैरवी कपिल सिब्बल कर रहें हैं अनिल अम्बानी के साथ मिलकर जो षड्यंत्र कर रहा है। 

और स्पष्ट कर दें जो 'गांधी'  की 'केंचुल' उतार कर अब 'कॉल' और' दत्तात्रेय' हो गया है। जनेऊ पहनने लगा है और अपने को हिन्दू कहने कहलवाने में वह गर्व महसूस कर रहा है।

प्रसंगवश बत्लादें 'कॉल' का एक अर्थ तंत्र -विद्या में में पारंगत भी होता है ,तांत्रिक भी होता है।  

उसने (राहुल )अपनी अम्मा  से कहा ये झूठ बोलने का बोझ बहुत बढ़ गया है जो आपने मुझे विधिवत बोलना सिखाया है और गांधी और झूठ साथ -साथ नहीं चलते इसीलिए मैं कॉल हो गया क्योंकि झूठ बोलना तो मैं छोड़ नहीं सकता। इसीलिए मैंने गांधी उपनाम छोड़ दिया। अब मैं राहुल दत्तात्रेय हो गया। 

'राहुल 'राहुल पंडित ,राहुल दत्तात्रेय कहलाएं हम भी यही चाहते हैं। यह काम आसान और प्रामाणिक तरीके से हो सकता है। अगर सुप्रीम कोर्ट के ये तीनों उकील नुमा कपिल -मनीष -सिंघवी मिलकर प्रयास करें और राहुल को और उनकी अम्मा को राजी कर लें राहुल अपने गुप्त विवाह को मान्यता देने के लिए हिन्दू रीति से पुनर्विवाह कर लें। 

यजमान तो राहुल हैं ही ,पंडित दो तो इन तीन उकीलों  में ही मौजूद हैं कपिल और मनीष (तिवारी ),तीसरे ब्रह्मा जी के मंदिर के पंडित कॉल मौजूद हैं वह भी फेरे डलवा सकते हैं।  आर्य समाज मंदिर में भी  विवाह  कर सकते हैं। आर्य समाज विवाह का प्रमाण पत्र भी देता है जिसे भारत सरकार की मान्यता प्राप्त है।  

हिन्दू होने को मुहर लगाता है हिन्दू रीति से किया गया विवाह जिसमें पंडित दूल्हे से उसका गोत्र और वर्ण दोनों  पूछ्ता है।बाकायदा इस विवाह का आजकल पंजीकरण भी होता है जिसके आधार पर पासपोर्ट मिलने में भी सहूलियत रहती है। आपका भारतीय होना भी प्रमाणित हो जाता है।सिर्फ जनेऊ पहनने से कोई पंडित (हिन्दू कॉल या दत्तात्रेय )नहीं हो जाता है।  

कपिल सिब्बल जी मनीष जी सरकारें आनी  जानी चीज़ हैं कल को कोई ये न कहे ये सिब्बल तो उस रँडुए का दोस्त है। क्योंकि रँडुआ और रांड (विधवा) शब्द हिन्दू (सनातन धर्म )में ही प्रचलित हैं न ईसाइयत में हैं न मुसलमानियत में हैं। 
नेहरू वंश पर आप तीनों महानुभावों का बड़ा उपकार होगा आप राहुल को विधिवत हिन्दू बनाने मनवाने के लिए उनका हिन्दू रीति से विवाह संपन्न कर वादें। अभी तलक  तो जो षड़यंत्र आप अनिल अम्बानी के साथ मिलकर रच खेल रहें हैं वह Newsloose.comतक ही सीमित है कल को ज़िल्द बंध  गई इस किताब की तो आप के लेने के देने पड़ जाएंगे। अपने भविष्य का सोचिये पंडित कपिल सिब्बल और तिवारी जी मनीष। 

औरों के घर के  झगड़े नाहक न छेड़ तू ,

तुझे पराई क्या पड़ी अपनी निदेड़  तू।  

सन्दर्भ -सामिग्री :NEWSLOOSE

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें