शनिवार, 15 दिसंबर 2018

चौकीदार चोर बतलाया ,गला फाड़ कर चिल्लाये , चोर -चोर कहते -कहते तुम तीन प्रदेश जीत लाये- प्रखर राष्ट्रवादी कवि ,गौरव चौहान

कविता और चित्र खुद -ब -ख़ुद बोलते हैं। प्रस्तुत कविता प्रखर राष्ट्रवादी युवा कवि गौरव ने लिखी है लेकिन भावविरेचन पूरे भारत धर्मी समाज का हुआ है उनके इस उद्वेलन से। साक्षी पूरा भारत धर्मी समाज रहा है राजनीति में पल्लवित इस झूठ और फरेब का जहां राजनीतिक ज़मात दो टूक साफ़ साफ़ दिखलाई देती है। एक तरफ भारत धर्मी समाज है और दूसरी ओर मोदी विरोधी ठगबंधन। 

बढ़िया मुद्दा उठाया है इस रचना ने -हमको ये समझाया है भारत धर्मी समाज में वंश लड़के के नाम से चलता है। लड़की के नाम से नहीं। शादी के बाद वह जिस नए खानदान में जाती है उस वंश का पोषण करती है। इंदिरा प्रिय दर्शनी नेहरू एक पारसी युवक से ब्याही गईं  थीं जिन्हें उनकी मौत के बाद सुपुर्दे ख़ाक करवाया नेहरू ने जबकि  परम्परा है पारसी समाज में शव पक्षियों के जीमने के लिए खुले में रख दिया जाता है एक पूर्व निर्धारित जगह पर। 

नरु मरे कछु काम न आवे ,

पसु मरे दस काज सवारे। 

नोटा का अर्थ है: नन- आफ -दी -अबव् ऑप्शंस। (कोई नहीं उल्लेखित में से ). 

पढ़िए इस प्रतिष्ठित युवा हस्ताक्षर की मौज़ू रचना जो वर्तमान राजनीतिक झरबेरियों की चुभन को उभारती है। रही बात नरेंद्र दामोदर मोदी की दो पंक्तियाँ उनको समर्पित हमारी भी :

वो पक्का यौद्धा  है और परम बोधा है ,
वो बुद्धू  नहीं है जैसा तुम सोचो। (मेरा प्यारा चाय वाला ,सबसे निराला मतवाला मस्त )

चौकीदार चोर बतलाया ,गला फाड़ कर चिल्लाये ,

चोर -चोर कहते -कहते तुम तीन प्रदेश जीत लाये। 

मूरख जनता बहकावे में ,साथ तुम्हारे चल बैठी ,

कुछ जनता 'नोटा 'के चक्कर  में ,खुद को ही छल बैठी। 

साठ  साल का लुटा कृषक बस ,चार साल में टूट गया ,

गुस्सा सारे नेताओं का भजप्पा पर फूट पड़ा। 

तुम रफेल और बस रफेल पर भाषण देकर सिद्ध हुए ,

घायल तन पर चौंच मारते ,अवसरवादी गिद्ध हुए। 

तुक्का लगकर जीत गए हो ,भली तुम्हारी राम करे ,

बकरे की माँ कब तक ,खैर मनाकर के आराम करे। 

धीरे -धीरे रहो देखते ,परतें सब खुल जायेंगी ,

एक साल के अंदर ही ,सबकी आँखें ,सब खुल जाएंगी। 

रिहा ज़मानत पर जो राहुल ,हरिश्चंद्र का पौत्र हुआ ,

दादा जिनका शुद्ध पारसी जिनका, बामन उनका गौत्र हुआ। 

छद्म विरासत वाले ,सच्चाई कमज़ोर बताते हो , 

न्यायालय -उच्चतम तुम्हारे सारे भांडे फोड़ गया ,

और तुम्हारी ठगी कथाओं में एक पन्ना जोड़ गया। 

पांच साल में इक रफेल का घोटाला ही पकड़ सके ,

और इसी का मुद्दा लेकर मोदी पर तुम अकड़ सके। 

न्यायालय ने दूध ,दूध पानी का पानी कर डाला ,

सौदा शुद्ध रफेल हुआ ,शुचिता का सानी कर डाला। 

अब राहुल चुल्लू भर पानी ले लो डूब मरो ,

इक त्यागी को चोर बताया ,शर्म बची हो शर्म करो। 

बकते जाओ मोदी को ,शिकवा है नहीं बकैतों   से  ,

भारत माँ का सच्चा सेवक ,डरता नहीं डकैतों से। 

मैं लेखन की सच्चाई का ,छोटा सा परवाना हूँ ,

भाजप्पा का भक्त नहीं हूँ ,मोदी का दीवाना हूँ। 

ईमानों पर तंज कसोगे ,कमर तुम्हारी तोड़ेगी ,

मोदी को बदनाम करोगे ,कलम न तुमको छोड़ेगी। 

जिनकी रक्त धमनियों में ही रक्त मिला है गोरों का ,

वंश लुटेरों का है ,उनका पूरा कुनबा चोरों का। 

... ..     ... ... .... प्रखर राष्ट्रवादी कवि ,गौरव चौहान। 

दूरभाष :955 706  2060 ,

प्रस्तुति :वीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा )
कैन्टन (मिशिगन )

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