मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

हर घंटे अपना वर्ण बदलने वाले 'संकर वर्ण' अपनी हरकतों से आज भी बाज़ नहीं आ रहें हैं इन्हें उम्मीद है ये इस दौर के सबसे ज्यादा हरदिल अज़ीज़ों को देश में आपात्काल लगाने के लिए मजबूर कर देंगे

बेदीन फ़खरु और सुदर्शना घेंडी की यादें ताज़ा हुईं
ज़नाब मुशर्रफसाहब को पेशावर की ऊपरली कचेहरी ने सजाए फांसी का एलान किया इस  बिना पर के हमारे वर्तमान दरियागंज में पैदा मुशर्रफ साहब ने अपनी गद्दी की सलामती के लिए मुलकेपाक में  आपातकाल लगा दिया था।
इधर "मिसेज़ घेंडी" ने बिला -दीन फखरू के दस्तखत अगले दिन दोपहर को जाकर लिया और गए रात मुल्के हिन्द को आपात काल में झौंक दिया।
आज इतालवी पराठे की  अगुवाई में नामी गुलाम ,मशहूर चच्चा   मौलानाअली मुलायम के कुनबे को पलीता लगाने वाले भतीजे चंद अन्य जमहू-रियत के चोकीदार भारत के संविधानिक-शिखर 'रायसीना परबत 'पे जा चढ़े। दिल्ली को दुनिया भर  में बदनाम करने वाले ये तमाम लोग सम्पूर्ण भारत धर्मी समाज की जिसने प्रिय -दर्शना घेंडी को बाद आपात काल भी एक बार फिर से जीत दिलवा दी थी। यह उसी उदार भारत की तौहीन कर रहे हैं । ये चार पे जा सिम टेंगे बाबा अली और चालीस -----(आगे वही है जो आप सोच रहें हैं )
यह सब 'मोहनदास कर्म  चंद गांधी ' के नाम की चोरी करने वाले उनके यादगार जन्म बरस   १५० के आगोश में बैठ के कर रहे हैं।
इसे कहते हैं :एक तीर से दो शिकार-करने वाले ये लोग एक तरफ विख्यात मेम्बर पालियामेंट एक पारसी विद्वान की विरासत को धूल  चटा रहें है ( अपमान तो उनको प्रयाग में दाखिले कब्र  (सुपुर्दे खाक )करके इन्होनें बहुत पहले ही कर दिया था। जबकि शव को पक्षियों को जिमाने के लिए खुले में रखने का रिवाज़ पारसियों में रहा आया है।)दूसरी और ये भारत धर्मी वृहत्तर समाज को भी अपमानित कर रहें हैं।
हर घंटे अपना वर्ण बदलने वाले 'संकर वर्ण' अपनी हरकतों से आज भी बाज़ नहीं आ रहें हैं इन्हें उम्मीद है ये इस दौर के सबसे ज्यादा हरदिल अज़ीज़ों को देश में आपात्काल लगाने के लिए मजबूर कर देंगे।
तिनकी मत पहले हर लेवे  -विनाश काले विपरीत बुद्धि।
अरे !भाई साहब! आसपास कोई फखरू बे -दीन नहीं है जो अक्ल को ताक पे रखके दस्तखत कर दे आपात्काल के काले कारनामे पे। मत भूलिए छोड़िये भरम (delusion ) मेज को कुर्सी बतलाने का वहम पालने वालों सांप में रस्सी कोई भी धुंधलके में देख बैठेगा ये कुर्सी को सांप बतला रहें हैं।
श्रीमती लंकनी   ने(प्रियंका पढ़ने की गलती न करें ) नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा ,संविधान की आत्मा को छलनी करने वाला विधेयक लाएं हैं। क्या उन्हें पता है ,संविधान की आत्मा क्या है ?क्या आधी रात को आपात्काल लगाने वाली "इंदिरम्मा" ने संविधन की आत्मा को अमृत पिलाया था या फिर उसके प्रिय भाई राहुल घेंडी  ने 'रेप इन इंडिया' कहकर संविधान की आत्मा का सम्मान बढ़या है।  

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