हरि कथा सुनाकर भाई।
श्रवण भक्ति का पहला चरण है। जिसके नाम रूप की हम चर्चा सुनते हैं उस का रूप मन में बस जाता है। उसकी एक छवि हमारे मन में घर बना ने लगती है। कभी न कभी वह मिल भी जाता है। हम उसे पहचान भी लेते हैं। उसे हम जिस रूप में जिस सम्बन्ध में याद करते हैं वह उसी रूप उसी संबंध में मिलता है। सखा मित्र दास ,बहुरिया ,पुत्र या फिर स्वामी यहां तक के वह दास बनकर भी आया है आ जाता है स्वय -मेव।
हे प्राणि सुन सुन कर ही तेरा बेड़ा भवसागर के पार हो जाएगा ,हरि कथा सुनाकर।
जो कुछ हम कानों से सुनते हैं वह जुबान पर आ जाता है ,राजनीति की बातें सुनते हो तो वो होंठो पे आ जाती हैं ,निंदा -रस सुनते हो तो उसे ही मुंह से सुनाते हो। कान में दवा डालो तो मुंह में आ जाती है। कलियुग में केवल सुनने से काम बन जाएगा।
गाय की तरह हम भी जुगाली करते हैं कथा सुना करो ,कथा की जुगाली करोगे ,गाय मोटा चारा गटक जाती है फिर डकार मारकर उसे मुख में ले आती है ,जुगाली (regurgitation )करती।
रामकथा की जुगाली करोगे दिनभर,
उसकी कथा सुनोगे मन -भर।
जिनको भी परमात्मा का दर्शन हुआ है कथा से ही हुआ है इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमारे विभीषण जी हैं।राम ने जब पूछा तुम यहां कैसे आ गए बोले विभीषण आपकी कथा सुनकर। राम ने फिर पूछा किस से सुनी तुमने कथा लंका में -बोले विभीषण हनुमान से।
कथा भगवान् के दर्शन की लालसा पैदा करती है ,प्यास पैदा करती है भगवान् के दर्शन की।
प्यास लगी है तो इसका मतलब है कहीं न कहीं पानी ज़रूर मिलेगा। नाम रूप से ही संसार है।भगवान् का नाम है उनकी चर्चा है तो वह भी ज़रूर होंगे।कथा उनसे मिलवा देगी। बस चित्त लगाकर मन को एकाग्र करके कथा सुनो।यही बात शंकर भवानी से कहते हैं ,राम लक्ष्मण से कहते हैं-श्री रामचरित मानस में इस आशय की बहुत सुन्दर चौपाई हैं।
नाम तुम्हारा तारण हारा ,जाने कब दर्शन होगा ,
जिसकी (कथा )महिमा इतनी सुन्दर वो कितना सुन्दर होगा।
सुर जन मुनिजन ,दीन दुःखी जन तेरा नाम लगाते हैं ,
जो भी तेरे दर पे आया जो मांगे सो पाते हैं।
मेरे जैसे अभिलाषी को जाने कब दर्शन होगा ,
जिसकी महिमा इतनी सुन्दर ,वो कितना सुन्दर होगा।
हरे रामा ,हरे रामा ,रामा रामा हरे हरे ,
हरे कृष्णा ,हरे कृष्णा ,कृष्णा कृष्णा
हरे हरे। (महामंत्र कलियुग के लिए यही है )
कलियुग में कीर्तन परधाना ,
https://www.youtube.com/watch?v=HLI-soiR6M4
कलिजुग में इक नामि उधारु ,
नानक बोलै ब्रह्म बीचारू।
https://www.blogger.com/blogger.g?blogID=232721397822804248#editor/target=post;postID=285044362584033940
कलियुग योग न यज्ञ न जाना ,
एक अधार राम गुण गाना।
कलियुग केवल नाम अधारा ,
सुमर सुमर नर उतरे पारा।
https://www.youtube.com/watch?v=1Gkw-AebMko
हरी व्यापक सर्वत्र समाना ,
प्रेम ते प्रकट होइ मैं जाना।
प्रेम से उसकी कथा सुनो वह एक दिन ज़रूर मिल जाएगा।
राम है केवल प्रेम प्यारा ,
जान लेओ जो जानन हारा।
राम है केवल प्रेम प्यारा ,
जान लेओ जो जानन हारा।
साँची कहूं सुन लेओ सभै ,
जिन प्रेम कियो तिन ही प्रभ पायो।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें