राम नाम की महिमा का बखान है यहां :
नहीं कलि योग न यज्ञ न ज्ञाना ,
एक आधार राम गुणगाना।
कोई भी नाम लीजिये भगवान् का ,राम ,कृष्ण ,शिव ,शंकर ,दुर्गा। भगवान् का नाम कहीं भी लिया जा सकता है कभी भी लिया जा सकता है। कोई स्नान की भी ज़रूरत नहीं है पूजा से पहले स्नान ज़रूरी है। सहस्र नाम हैं भगवान् के कोई भी ले लो। ब्रज में बच्चे रोटी को हप्पा कहते हैं माँ जान लेती है इसे रोटी चाहिए तब क्या जगत का पिता यह नहीं जानेगा हम क्या चाहते हैं क्या कहकर उसे याद कर रहें हैं।
भजन करते हैं तो मन इधर -उधर जाता है
मन का स्वभाव है चंचल रहना। मन के द्वारा किये गए कर्म का फल नहीं मिलेगा ,शरीर द्वारा किये गए कर्म का फल मिलेगा ,तन हमारे हाथ में है ,मन नहीं है। जो हमारे काबू में है उसे काबू में रखिये। भजन में तन लगाया जाता है कोई नियम बनाइये जिसे पूरा करने में आपको कोई दिक्कत न आये। नियम आग्रह पूर्वक पूरा कीजिये।
पहले चाय पीजिये फिर भजन कीजिये चाय कोई बाधा नहीं है वर्जना नहीं है भजन से पहले या बाद में।
भूखे भजन न होय गोपाला
कुल मिलाकर नियमों में मत फंसिए ,भजन होना चाहिए। जैसे बीमारी होने पर डॉ. के कहे अनुसार दवाई पेट में जानी चाहिए ऐसे ही भजन नियमित जाना चाहिए पेट में। कहीं भी जैसे दवा भी कहीं भी खाई जा सकती है समय पर ।
घर से बाहर जाने से पहले घर के पूजा घर के आगे खड़े होकर प्रणाम करो और भगवान् को बताओ मैं जा रहा हूँ शाम को छः बजे वापस आवूंगा। लौटने पर भगवान् का शुक्रिया करिये -तेरी कृपा से मैं ठीक -ठाक लौट आया हूँ भगवन। माँ बाप या फिर जो भी उस समय दोनों में से भी घर में हैं या फिर कोई अन्य सदस्य घर में हैं उन्हें बताकर जाइये ,घर में आपका इंतज़ार होगा। आप सकुशल वापस आयेंगे।
अपने मन की पसंद ओलम भगवान् को सुना दीजिये ,श्लोक वह खुद बना लेगा।बच्चा यही करता है हम जो गाते हैं वह ओलम ही तो है भगवान् के लिए।
मन संदेह मोह भ्रम हरिये ,
राम कथा भव -सरिता सरणी ,
ये चरित जो गावें ,हरि पद पावें
ते न पड़ें भव कूपा ,
कहहिं सुनहिं अनुमोदन करहिं ,
जो कथा का अनुमोदन भी कर देंगे वे भी भवसागर के पार चले जाएंगे।
नाम लेत भव सिंधु सुखाई ,करहुं विचार सुजन मन माहिं
केवल हरी का नाम लीजिये -
करहुं विचार सुजन मन माहीं।
कहूं कहाँ तक राम बड़ाई
राम न सकहीं ,राम गुण गाई .
मन से मत डरिये ,ओंठ चलाइये माला जपिये ,
भगवान् ओंठों की सुन लेता है।
नटवर नाटक नंदा ,भजो रे मन गोविंदा ......
श्याम सुंदर मन चंदा ,भजो रे मन गोविंदा ,
तू ही नटवर तू ही नागर ,तू ही बालमुकुंदा
भजो रे मन गोविंदा ,वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में नाचे रे गोविंदा
मीरा के प्रभु गिरधर नागर
सूकत यम के फंदा ,भजो रे मन गोविंदा।
भजन के संग ताली बजाने से अवगुण निकल जाते हैं ,इन हाथों से समाज को दान दीजिये ,माता -पिता की सेवा कीजिये ,भगवान के भजन संग ताली बजाइये।
ताली से आजकल कई लोग चिकत्सा कर रहें हैं -'ताली -चिकित्सा '
प्रेशर पॉइंट्स को सक्रिय करती है ताली।
Put your hands and heads together .
जहां भगवान् का गुण गान किया जाता है ताली बाजाकर वहां प्रसन्नता और आह्लाद ही क्या स्वयं सारे तीरथ चले आते हैं।
सन्दर्भ -सामिग्री :
नहीं कलि योग न यज्ञ न ज्ञाना ,
एक आधार राम गुणगाना।
कोई भी नाम लीजिये भगवान् का ,राम ,कृष्ण ,शिव ,शंकर ,दुर्गा। भगवान् का नाम कहीं भी लिया जा सकता है कभी भी लिया जा सकता है। कोई स्नान की भी ज़रूरत नहीं है पूजा से पहले स्नान ज़रूरी है। सहस्र नाम हैं भगवान् के कोई भी ले लो। ब्रज में बच्चे रोटी को हप्पा कहते हैं माँ जान लेती है इसे रोटी चाहिए तब क्या जगत का पिता यह नहीं जानेगा हम क्या चाहते हैं क्या कहकर उसे याद कर रहें हैं।
भजन करते हैं तो मन इधर -उधर जाता है
मन का स्वभाव है चंचल रहना। मन के द्वारा किये गए कर्म का फल नहीं मिलेगा ,शरीर द्वारा किये गए कर्म का फल मिलेगा ,तन हमारे हाथ में है ,मन नहीं है। जो हमारे काबू में है उसे काबू में रखिये। भजन में तन लगाया जाता है कोई नियम बनाइये जिसे पूरा करने में आपको कोई दिक्कत न आये। नियम आग्रह पूर्वक पूरा कीजिये।
पहले चाय पीजिये फिर भजन कीजिये चाय कोई बाधा नहीं है वर्जना नहीं है भजन से पहले या बाद में।
भूखे भजन न होय गोपाला
कुल मिलाकर नियमों में मत फंसिए ,भजन होना चाहिए। जैसे बीमारी होने पर डॉ. के कहे अनुसार दवाई पेट में जानी चाहिए ऐसे ही भजन नियमित जाना चाहिए पेट में। कहीं भी जैसे दवा भी कहीं भी खाई जा सकती है समय पर ।
घर से बाहर जाने से पहले घर के पूजा घर के आगे खड़े होकर प्रणाम करो और भगवान् को बताओ मैं जा रहा हूँ शाम को छः बजे वापस आवूंगा। लौटने पर भगवान् का शुक्रिया करिये -तेरी कृपा से मैं ठीक -ठाक लौट आया हूँ भगवन। माँ बाप या फिर जो भी उस समय दोनों में से भी घर में हैं या फिर कोई अन्य सदस्य घर में हैं उन्हें बताकर जाइये ,घर में आपका इंतज़ार होगा। आप सकुशल वापस आयेंगे।
अपने मन की पसंद ओलम भगवान् को सुना दीजिये ,श्लोक वह खुद बना लेगा।बच्चा यही करता है हम जो गाते हैं वह ओलम ही तो है भगवान् के लिए।
मन संदेह मोह भ्रम हरिये ,
राम कथा भव -सरिता सरणी ,
ये चरित जो गावें ,हरि पद पावें
ते न पड़ें भव कूपा ,
कहहिं सुनहिं अनुमोदन करहिं ,
जो कथा का अनुमोदन भी कर देंगे वे भी भवसागर के पार चले जाएंगे।
नाम लेत भव सिंधु सुखाई ,करहुं विचार सुजन मन माहिं
केवल हरी का नाम लीजिये -
करहुं विचार सुजन मन माहीं।
कहूं कहाँ तक राम बड़ाई
राम न सकहीं ,राम गुण गाई .
मन से मत डरिये ,ओंठ चलाइये माला जपिये ,
भगवान् ओंठों की सुन लेता है।
नटवर नाटक नंदा ,भजो रे मन गोविंदा ......
श्याम सुंदर मन चंदा ,भजो रे मन गोविंदा ,
तू ही नटवर तू ही नागर ,तू ही बालमुकुंदा
भजो रे मन गोविंदा ,वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में नाचे रे गोविंदा
मीरा के प्रभु गिरधर नागर
सूकत यम के फंदा ,भजो रे मन गोविंदा।
भजन के संग ताली बजाने से अवगुण निकल जाते हैं ,इन हाथों से समाज को दान दीजिये ,माता -पिता की सेवा कीजिये ,भगवान के भजन संग ताली बजाइये।
ताली से आजकल कई लोग चिकत्सा कर रहें हैं -'ताली -चिकित्सा '
प्रेशर पॉइंट्स को सक्रिय करती है ताली।
Put your hands and heads together .
जहां भगवान् का गुण गान किया जाता है ताली बाजाकर वहां प्रसन्नता और आह्लाद ही क्या स्वयं सारे तीरथ चले आते हैं।
सन्दर्भ -सामिग्री :
(१ )Vijay Kaushal Ji Maharaj | Shree Ram Katha Ujjain Day 3 Part 3 2016 mangalmaypariwar.com
(२ )
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