ये भी पढ़ो शोभा डे ,अंग्रेजी साहित्य में नहीं मिलगा ये ज्ञान
जी हाँ ये मात्र सूचना नहीं है ज्ञान है श्रुति (आगम -निगम ,वेद पुराण )जिसका प्रमाण है।गाय का सबसे अद्भुत और महंगा पदार्थ उसका गोबर है। पूरे संसार में गाय का गोबर ही अकेला ऐसा पदार्थ है जो अपने तापमान पर स्थिर रहता है। राजस्थान की कितनी ही जगहों पर ग्रीष्म में तापमान (४५ -४९ ) सेल्सियस तक पहुँच जाता है। गोबर के ऊपर एक स्वेत झिल्ली रहती है। यह ताप निरोधी है।इसलिए गोबर उसी तापमान पर रहता है अपना आंतरिक ताप बनाये रहता है।
इस झिल्ली की महिमा वेदों ने गाई है। विशाल मात्रा में गोबर होने पर इस झिल्ली के प्रभाव से बादल वहीँ के वहीँ ठहर जाते हैं। यह झिल्ली बादलों में एक संतुलन बनाकर वर्षा का नियमन करती है रेगुलेट करती है वर्षा को।
गाय के कान का मैल (गौ रेचन )सबसे महंगा और तीक्ष्ण गंध पदार्थ है इसकी अतिरिक्त गंध आप बर्दाश्त नहीं कर सकते। गाय के कान में विशिष्ठ सूक्ष्म संरचनाएं रहती हैं। यदि आप अपनी बात ईश्वर तक पहुंचाना चाहते हैं तो गाय के कान में कह दो।
आप को ज्वर है तो गाय को छूकर देखो। गाय के शुद्ध घृत ,उसके गोबर और मूत्र के बिना यज्ञ नहीं हो सकता। धरती और अंबर का संतुलन है यज्ञ। यज्ञ से ओज़ोन की परत (ओज़ोन मंडल )स्थिर रहती है ,छीजता नहीं है,ओज़ोन कवच , भूकम्प नहीं आते हैं। पृथ्वी के उत्पादों से से प्राप्त तमाम रसों में संतुलन बना रहता है।
मदिरा की गंध देवताओं को मान्य नहीं है यज्ञ का धुआं मान्य है।भैस के घृत से यज्ञ नहीं हो सकता। ऐसा यज्ञ जड़ता बढ़ाएगा। तमोगुण बढ़ाएगा। भैस का घी और दूध कामोत्तेजक है। विषय आसक्ति ,संसार आसक्ति ,वासना को बढ़ाता है। यज्ञ की पहली शर्त है। गाय। ब्रह्मनिष्ठ व्यक्ति जो श्रोत्रिय भी हो ,ब्राह्मण कहते ही उसे हैं जिसने ब्रह्म को जान लिया है जन्मसूचक जातिसूचक शब्द नहीं है ब्राह्मण। गुणवाचक है।
प्रति सौ ग्राम गाय का शुद्ध घी हवन में होम करने से दस हज़ार लीटर ऑक्सीजन वायुमंडल में दाखिल होती है। कलकत्ता के पर्यावरण विभाग ने उक्त तथ्य की पुष्टि की है।
जयश्रीकृष्णा।
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