इस दौर में भारत विरोध जयचंदों की नानीकांग्रेस की नीति का एक हिस्सा बनता साफ़ दिखलाई दे रहा है। बी बी सी के कर्ण कटु बे-ताले बोल जो पूर्णतया गलत सूचनाओं पर आधारित थे और जिनका प्रधान मंत्री ने अपनी वाक्चातुरी से बड़ा सटीक ज़वाब दिया दुर्मुख आनंद शर्मा ,चाकर सोनिया मायनो के मुख में प्रवेश करके विषबुझे बाणों में बदल गए हैं। इस मौके पर ये दुर्मुख इससे भौंडा भी प्रदर्शन अगर कर सकते हैं तो करके देख लें भारत की सर्वग्राही सर्वसमावेशी वेगवती धारा धारा इन्हें सहज आत्मसात कर आगे बढ़ जाएगी। अलबत्ता देश इनकी करतूत और दो कौड़ी की औकात साफ़ साफ़ देख रहा है।
इस दौर में कई विषमुख उन लौटंक साहित्यकारों को प्रमाण पत्र दे रहे हैं जो कब के अपनी लौटंकी करके अपने अपने दड़बों में प्रवेश ले चुके हैं।
गौतम बुद्ध के समय भी ऐसे कई कुक्कर वृत्तिक और गोवृत्तिक लोग थे ,जो तरह तरह के भ्रमों से ग्रसित थे। आज आप इन्हें साहित्यकार और कलहकार (कलाकार )का दर्ज़ा दे रहे हैं।
इस दौर में कई विषमुख उन लौटंक साहित्यकारों को प्रमाण पत्र दे रहे हैं जो कब के अपनी लौटंकी करके अपने अपने दड़बों में प्रवेश ले चुके हैं।
गौतम बुद्ध के समय भी ऐसे कई कुक्कर वृत्तिक और गोवृत्तिक लोग थे ,जो तरह तरह के भ्रमों से ग्रसित थे। आज आप इन्हें साहित्यकार और कलहकार (कलाकार )का दर्ज़ा दे रहे हैं।
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