मंगलवार, 3 नवंबर 2015

सच्चाई का ये रकीब , डॉ. बना इरफ़ान हबीब।

किसी की थीसिस किसी का बीज ,

डॉ. बना इरफ़ान हबीब।

ये औरंगज़ेब  दरबारी है ,

तथ्य और तर्क से खाली है।

वरना उसे पीर न कहता ,

जो इतिहास के नाम पर , गाली है।

जिहादी फितरत का मुरीद ,

इसी का नाम इरफ़ान हबीब।

कैसा ये इतिहासकार है ,

मुगलों का ये चाटुकार है।

सच्चाई का ये रकीब ,

डॉ. बना इरफ़ान हबीब।

काश इरफ़ान हबीब ने डॉ.बर्नियर को पढ़ा होता जो औरंगज़ेब के दरबार में बारह बरस रहा ,इस फ्रांसीसी यात्री लेखक ने औरंगज़ेब की धूर्तता और नृशंशता के बारे में अपनी पुस्तक  में जो आँखों देखा हाल लिखा है, काश किसी की थीसिस चुराने से पहले उसे पढ़ लिया होता। मजहबी और जिहादी मानसिकता से कोई सच्चा इतिहासकार नहीं बनता चाहे फिर वो इरफ़ान हबीब हो या सच्चाई का रकीब हो।

संदर्भ -:डॉ.बर्नियर की भारत यात्रा(डॉ बर्नियर की चर्चित किताब ,संवत २०१२ ,पृष्ठ ३२४ ,मूल्य साढ़े चार रूपये ) . प्रथम संस्करण १९५७ में प्रकाशित।

शीर्षक :जिहादी इतिहासकार

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